राजस्थान में फिर भड़का गुर्जर आरक्षण आंदोलन!
राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आरक्षण आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र में 8 जून को प्रस्तावित इस आंदोलन को लेकर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा आंदोलन के ऐलान के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। यह वही इलाका है जहाँ 2008, 2010 और 2015 के दौरान भी आंदोलन ने उग्र रूप लिया था और कई दिनों तक रेल यातायात ठप रहा था।
भरतपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) मृदुल कच्छावा खुद सुरक्षा व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने आंदोलन की संवेदनशीलता को भांपते हुए बयाना क्षेत्र का दौरा किया और अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में संभावित हालात, आंदोलित क्षेत्रों की पहचान और सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा की गई। इसके बाद एसपी कच्छावा ने पीपलूदा और काकड़वाड़ी जैसे क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया, जो पहले भी गुर्जर आंदोलनों के दौरान केंद्रबिंदु रहे हैं।
प्रशासन इस बार रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है, क्योंकि इतिहास गवाह है कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। रेलवे ट्रैक जाम होने से सैकड़ों ट्रेनें रद्द या डायवर्ट करनी पड़ी थीं, जिससे न केवल राज्य, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी यातायात व्यवस्था चरमरा गई थी।
इस बार पुलिस और रेलवे प्रशासन किसी भी संभावित प्रदर्शन से पहले तैयारी कर रहा है। रेलवे ट्रैक के दोनों ओर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जा रही है और ड्रोन की मदद से निगरानी भी की जा सकती है।
प्रशासन इस बार टकराव से बचने के लिए संवाद को प्राथमिकता दे रहा है। पुलिस अधिकारी गुर्जर समाज के नेताओं और प्रतिनिधियों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं ताकि आपसी बातचीत के ज़रिए समाधान निकाला जा सके। महापंचायत की तैयारी और संभावित भीड़ की संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने खुफिया तंत्र को भी सक्रिय कर दिया है।
इसी के साथ सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और भड़काऊ संदेशों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सभी थानों को निर्देश दिए गए हैं कि सोशल मीडिया पर प्रसारित किसी भी संदिग्ध सामग्री की तत्काल जांच की जाए और जरूरत पड़ने पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, आंदोलन स्थलों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की योजना तैयार की जा रही है। स्थानीय पुलिस के अलावा राज्य पुलिस बल और विशेष टास्क फोर्स की भी मदद ली जाएगी। खुफिया एजेंसियों को पहले से ही अलर्ट कर दिया गया है और संभावित नेताओं, प्रदर्शनकारियों व पंचायत आयोजकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
बयाना में गुर्जर समाज के कई नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी आरक्षण की मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन और अधिक तेज होगा। उनका कहना है कि यह आंदोलन केवल बयाना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। इससे पहले भी गुर्जर समाज ने 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए थे।
राजस्थान सरकार के लिए यह आंदोलन एक बार फिर चुनौती बनकर सामने आया है। जहां एक ओर प्रशासन टकराव से बचने के लिए संवाद का रास्ता अपनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर गुर्जर समाज अपने रुख पर अडिग है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि 8 जून को प्रस्तावित आंदोलन किस दिशा में जाता है और क्या प्रशासन इसे शांतिपूर्वक संभाल पाता है या नहीं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आमजन से भी शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है। सरकार और समाज के बीच रचनात्मक संवाद ही इस तनावपूर्ण स्थिति का एकमात्र समाधान साबित हो सकता है।
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