भक्ति

क्यों उड़ाया शिव ने माता पार्वती का मजाक ?

Why did Shiva make fun of Mother Parvati?

प्रेम कथाएं तो हम सभी ने बहुत सुनी है लेकिन क्या आप जानते है कि हमारे अराध्य भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कथा कैसी थी या वो अपना प्रेम दिखाने या जताने के लिए क्या करते थे…अगर नहीं तो आज हम आपको वही बताने वाले है…कि प्रेम का अर्थ हमारे भगवान के लिए क्या था…

आद हम शिवजी और पार्वती के उस दिव्य प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे है जो केवल और केवल उनकी चंचलता को दर्शाती है…अब आप कहेंगे या सोंचेंगे जरूर की प्रेम कथा में कैसी चंचलता…तो चिंता मत कीजिए आज की कथा में हम आपको यही बताने वाले है कि हमारे महादेव और माता पार्वती के बीच कैसे हंसी-मजाक और गहन प्रेम का संबंध था…

 

तो आइए सुनाते है आपको भगवान शिव की अद्भुत कथा…जैसा कि विदित है कि माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए कितना तप किया था तब जाकर उन्हें महादेव की पति के रूप में प्राप्ति हुई…मां गौरा महादेव के साथ विवाह के पश्चात पर्वतों के राजा कैलाश पर रहने लगीं…काफी दिनों तक उनके जहन में एक सवाल दौड़ रहा था…तो एक दिन जब उनके धैर्य की पराकाष्ठा ने जवाब दे दिया तब आखिर में मां गौरा ने भगवान शिव से पूछ ही लिया, उन्होंने पूछा  “हे महादेव! क्या आप मुझसे प्रेम करते हैं ?

भगवान तो भगवान है उन्होंने भी सोच लिया कि चलो आखिर पार्वती ने वो सवाल पूछ ही लिया जिसका वो लंबे समय से इंतजार कर रहे थे…सवाल के जवाब में भगवान शिव मुस्कुराते हैं और बोलते हैं, “हे गौरी! तुम्हारा रूप अद्वितीय है। और तुम मेरी पत्नी भी हो तो क्या ऐसा हो सकता है कि मैं तुमसे प्रेम ना करता हो?

मैं तुमसे अत्यंत प्रेम करता हूं। पर भोले बाबा जितने भोले थे उतने ही चंचल स्वभाव के भी थे…ये तो बात हुई एक दिन की…तो आगे चलते है साथ में कैलाश पर रहते है तो एक दिन फिर माता पार्वती भगवान से उनके मन की बात जानने की कोशिश करती है और पूछती है “क्या मेरा रंग तुम्हें प्रिय है?”

कथा के अनुसार, माता पार्वती का रंग सांवला था। और भगवान शिव ने अपनी चंचलता के बहकावे में आकर पार्वती से कह दिया, “हे पार्वती! तुम्हारा रंग तो काला है, तुम तो काली लगती हो।” ये सुनते ही मां पार्वती अत्यंत दु:खी हो गई और सोचा कि भगवान शिव तो उनके रूप का मजाक उड़ा रहे हैं। मजाक ने उन्हें काफी आहत किया..और वो सोच बैठी की अगर वो गौरी होती तो शायद भगवान को वो प्रिय होती और भगवान भी उनकी तारीफ करते…तो यही तारीफ सुनने के लिए पार्वती ने कठोर तपस्या का संकल्प ले लिया।

अब धीरे-धीरे उस तपस्या ने वो रूप ग्रहण कर लिया जब उनकी तपस्या का सीधा असर पूरे संसार पर पड़ने लगा। तो उन्होंने भगवान ब्रह्मा की तपस्या की थी तो वो प्रकट हुए और उनसे वर मांगने की बात कही तब माता पार्वती ने उनसे कहा भगवन मेरे पति मेरे रंग को पसंद नहीं करते तो आप बस मुझे गोरा रंग देने की कृपा करें…ताकि उनके पति यानि भगवान शिव उनसे और प्रेम करने लगे…भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया, और उनका श्यामल वर्ण बदलकर अत्यंत गोरा हो गया और इस नए रूप में वे “गौरी” कहलाईं

अब नया रंग प्राप्त कर माता पार्वती बड़ी खुश हुई और भगवान शिव के पास लौटीं, तो भगवान शिव ने उन्हें देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “पार्वती, तुम्हारा रूप चाहे जैसा भी हो, मेरे लिए तुम सदा सर्वोत्तम और प्रिय हो। मैंने जो मजाक किया था, वो केवल तुम्हें ये सिखाने के लिए था कि सच्ची सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों में होती है।” उन्होंने माता पार्वती को समझाया कि, रंग या रूप केवल भौतिक विशेषताएं हैं, और असली महत्व आत्मा के गुणों, प्रेम, करुणा और समर्पण में है

 

तो आपने इस कथा से क्या सीखा…कमेंट करके जरूर बताएं… और वीडियो अच्छी लगी हो तो,,, लाइक के साथ-साथ चैनल 4 भक्ति को सब्स्क्राइब करें…

Anshul Bhardwaj

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