SI EXAM : बेनीवाल की सरकार को सलाह”रद्द करनी होगी SI भर्ती”
राजस्थान में 2021 की एसआई (SI) भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण को लेकर सियासी तापमान तेज हो गया है। एक ओर जहां कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तीखा हमला बोला है, वहीं दूसरी ओर नागौर से सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने चेतावनी दी है कि अगर भर्ती को रद्द नहीं किया गया तो वे प्रदेशव्यापी युवा आंदोलन छेड़ देंगे।
बाड़मेर में मीडिया से बात करते हुए डोटासरा ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री का चयन भी दिल्ली से आई पर्ची पर हुआ है, तो वे अपने विवेक से एसआई भर्ती पर निर्णय कैसे ले सकते हैं? उन्होंने यह भी कहा कि पिछले डेढ़ साल से चयनित अभ्यर्थी असमंजस में हैं और उन्हें यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि उनकी नौकरी सुरक्षित है या नहीं। डोटासरा ने सरकार पर कोर्ट में झूठे तथ्य रखने और बार-बार बहाने बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य की समस्याओं से ज्यादा विदेश यात्राओं में रुचि है।
वहीं दूसरी ओर आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में शहीद स्मारक पर पिछले एक महीने से धरना दिया हुआ है। उन्होंने रविवार को मानसरोवर में एक बड़ी रैली कर सरकार पर हमला बोला और स्पष्ट कहा कि अगर एसआई भर्ती रद्द नहीं की गई तो वे पूरे राजस्थान में युवाओं के साथ आंदोलन छेड़ेंगे। बेनीवाल का कहना है कि राज्य में पेपर माफिया हावी हो चुका है और आरपीएससी भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। उन्होंने बीजेपी पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव से पहले सीबीआई जांच और आरपीएससी के पुनर्गठन की बात करने वाली पार्टी सत्ता में आने के बाद अपने वादे भूल चुकी है।
सरकार की सफाई: फैसला लेने के लिए मांगा समय
इस बीच सोमवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया पर निर्णय लेने के लिए 1 जुलाई तक का समय मांगा है। सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि नीति आयोग की बैठक और कैबिनेट सब-कमेटी की मीटिंग अब तक नहीं हो पाई है, जिसके चलते निर्णय में देरी हो रही है। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।
एसआई भर्ती 2021 का यह प्रकरण अब तक नियुक्तियों और तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। न तो पुराने चयनितों को नियुक्ति मिल रही है और न ही नई भर्ती की प्रक्रिया आगे बढ़ पा रही है। ऐसे में सभी की नजरें अब राज्य सरकार के आगामी फैसले और हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
पेपर लीक जैसे संवेदनशील मामले में जिस तरह की सियासत और असमंजस की स्थिति बनी हुई है, वह न केवल प्रशासनिक प्रणाली पर सवाल उठाती है बल्कि युवाओं के भविष्य को भी अंधेरे में डाल रही है। आने वाले दिनों में सरकार का रुख और विपक्ष का आंदोलन मिलकर इस प्रकरण को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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