उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के नजदीक आते ही पश्चिमी यूपी की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम और समाजवादी पार्टी के विधायक महबूब अली के विवादास्पद बयानों ने सियासी तनाव को और बढ़ा दिया है। ये दोनों नेता अपने बयानों से न केवल अपने-अपने दलों को मुश्किल में डाल रहे हैं, बल्कि उपचुनाव के सियासी समीकरणों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
संगीत सोम, जो मेरठ के सरधना से पूर्व विधायक हैं, हाल ही में कई विवादों में घिरे हुए हैं। गन्ना समिति के चुनाव के संदर्भ में, उन्होंने सहकारी प्रबंधन के एक अधिकारी को धमकी दी, यह कहते हुए कि अगर अधिकारी काम नहीं करेंगे, तो उन्हें “पब्लिक के जूतों से पिटवाऊंगा।” इस बयान ने बीजेपी में हलचल पैदा कर दी है। संगीत सोम ने आगे आरएलडी को “डेढ़ जिले की पार्टी” बताते हुए उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब आरएलडी और बीजेपी मिलकर उपचुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं, जिससे दोनों दलों के बीच संबंधों में खटास आ सकती है।
वहीं दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के विधायक महबूब अली ने अपने विवादित बयानों से सपा की स्थिति को और चुनौती में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि “मुस्लिमों की आबादी बढ़ गई है और बीजेपी का राज खत्म हो जाएगा,” और यह भी जोड़ा कि “जब मुगलों का राज खत्म हुआ, तो बीजेपी का क्या होगा?” इस तरह के बयान सपा के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकते हैं।
पश्चिमी यूपी की राजनीति पिछले एक दशक में काफी बदल चुकी है, खासकर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद। बीजेपी ने इस क्षेत्र में अपनी सियासी जड़ों को मजबूत किया है, जबकि सपा को अपनी स्थिति सुधारने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल हैं: मीरापुर, कुंदरकी, खैर, और गाजियाबाद। सपा के लिए कुंदरकी सीट पर स्थिति मजबूत है, लेकिन मीरापुर जैसी सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है। महबूब अली और संगीत सोम के बयानों ने इन चुनावों के समीकरण को और अधिक जटिल बना दिया है।
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