Pilibhit: समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर बवाल
पीलीभीत में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय खाली कराया जा रहा है। इसका पता चलते ही 200 से ज्यादा सपा कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उनकी नगरपालिका के अधिकारियों से नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई।
इसके बाद सपा कार्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
50 अफसर और पांच थानों के 200 पुलिसकर्मी और एक कंपनी तैनात है। ड्रोन से निगरानी की जा रही है। वाटर कैनन और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां बुलाई गई हैं।
दरअसल, सपा कार्यालय नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के आवास में चल रहा था। तीन दिन पहले नगरपालिका ने कार्यालय के गेट पर नोटिस चस्पा किया था और 10 जून तक कार्यालय खाली करने को कहा था। लेकिन कार्यालय खाली नहीं किया गया। इसके बाद प्रशासन ने ये कार्रवाई की है।
इस कार्रवाई को सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह ‘जग्गा’ ने असंवैधानिक बताया। उन्होंने डीएम और एसपी से मुलाकात की और कहा- मामला सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए कार्यालय को खाली न कराया जाए।
आइए जानते है आखिर पूरा मामला है क्या
2005 में नगर पालिका ने नकटा दाना चौराहे के पास अधिशासी अधिकारी (ईओ) आवास को सपा कार्यालय के लिए डेढ़ सौ रुपए मासिक किराए पर आवंटित किया था, लेकिन 12 नवंबर 2020 को यह आवंटन रद्द कर दिया गया। कहा गया कि ये आवंटन निर्धारित प्रक्रिया के तहत नहीं हुआ था।
इसके खिलाफ तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे 1 दिसंबर 2020 को उन्होंने स्वयं ही वापस ले लिया।
इसके बाद सपा ने 2021 में सिविल जज की अदालत में मुकदमा किया, जो अब भी विचाराधीन है। पालिका का कहना है कि मामला विचाराधीन होने के बावजूद अब तक कोई अंतरिम आदेश नहीं आया है, जिससे पालिका को कब्जा हटाने से रोका गया हो।
इसीलिए तीन दिन पहले नगरपालिका ने कार्यालय के गेट पर नोटिस चस्पा किया था और 10 जून तक कार्यालय खाली करने को कहा था। लेकिन कार्यालय खाली नहीं किया गया।
वहीं, सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह का कहना है कि, पालिका प्रशासन सत्ता के दबाव में काम कर रहा है। रविवार तक उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला था। रविवार रात 8:30 बजे कार्यालय के बाहर 6 जून का नोटिस चस्पा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि जबरन कार्यालय खाली कराया गया तो वे विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि, लंबे समय से इसी भवन में कार्यालय संचालित हो रहा है। वे नियमित रूप से किराया दे रहे हैं और साफ-सफाई भी करवा रहे हैं। भवन का मामला सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक कार्यालय को खाली नहीं करवाया जाना चाहिए।
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