रामनगरी अयोध्या ने एक बार फिर अपने इतिहास में वह सुनहरा अध्याय जोड़ा है, जिसकी प्रतीक्षा वर्षों से करोड़ों श्रद्धालु कर रहे थे। बृहस्पतिवार का दिन अयोध्या के लिए केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आध्यात्मिक चेतना का विराट प्रतीक बन गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई।
भोर होते ही अयोध्या का कण-कण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। ब्रह्ममुहूर्त से ही मंदिर प्रांगण में देशभर से आए आचार्य, वेदपाठी, संत और महंतों का समवेत स्वर वातावरण को पवित्र कर रहा था। शंखनाद, मंत्रोच्चारण और हवन की दिव्य सुगंध ने पूरे परिसर को जैसे स्वर्ग में बदल दिया। रामलला के मंदिर में पूजा-अर्चना का वह दृश्य इतना दिव्य था कि हर श्रद्धालु की आंखें नम थीं और मन अभिभूत।
इस पूरे आयोजन की गरिमा तब और बढ़ गई, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं प्राण प्रतिष्ठा विधि में भाग लिया। उन्होंने सभी देव विग्रहों का विधिपूर्वक अभिषेक किया। फिर वह क्षण आया, जब राजा राम की मूर्ति से आवरण हटाया गया और सभी की आंखों के सामने वह दिव्य छवि प्रकट हुई — श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान जी की भव्य मूर्तियाँ।
मूर्ति का श्रृंगार विशेष शास्त्रीय विधि से किया गया था। आभूषणों से सुसज्जित राम दरबार की वह छवि श्रद्धालुओं के मन में जीवन भर के लिए अंकित हो गई। रामलला अब स्थायी रूप से अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं।
इस अवसर पर अयोध्या में न केवल मंदिर परिसर, बल्कि पूरे शहर में एक त्योहार जैसा माहौल रहा। हर गली, हर चौराहा दीपों से सजा हुआ था। राम की पैड़ी, हनुमानगढ़ी, कनक भवन जैसे प्रमुख स्थलों पर भी विशेष पूजन और भजन संध्या का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले हनुमानगढ़ी जाकर दर्शन-पूजन भी किया। वहां उन्होंने भक्तों के साथ बैठकर आरती में भाग लिया और रामराज्य की परिकल्पना को एक बार फिर सबके सामने दोहराया।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देशभर से कुल 19 प्रमुख संत और धर्माचार्य विशेष रूप से उपस्थित रहे। इसके अलावा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी, और हजारों की संख्या में आम श्रद्धालु भी मौजूद रहे।
रामलला के भव्य मंदिर में दरबार की स्थापना इस तरह की गई है कि श्रद्धालु दूर से ही प्रभु के दर्शन कर सकें। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य मूर्ति विराजित की गई है और साथ ही मंदिर की दीवारों पर श्रीराम के जीवन प्रसंगों से जुड़ी अद्भुत चित्रकारी भी की गई है। यह संपूर्ण मंदिर सिर्फ एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विराट दस्तावेज बन चुका है।
इस बड़े आयोजन को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए थे। हर गली, हर मोड़ पर पुलिस बल, कमांडो यूनिट और सीसीटीवी कैमरे तैनात थे। डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दस्तों ने भी पहले से ही पूरे इलाके की तलाशी ली थी। ड्रोन्स के जरिए पूरे आयोजन की निगरानी की गई ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो।
इस आयोजन की भव्यता सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं रही। देशभर के मंदिरों, आश्रमों और घरों में भी विशेष पूजन और दीपोत्सव आयोजित किए गए। सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों तक राम दरबार की भव्य छवि छाई रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर ट्वीट कर इस ऐतिहासिक पल को भारतीय संस्कृति का गौरव बताया।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या अब एक वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रही है। सरकार ने पहले ही इस दिशा में कई योजनाएं शुरू की हैं — जैसे राम पथ, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग, रामायण संग्रहालय, और अयोध्या हवाई अड्डा “मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एयरपोर्ट” का विस्तार। आने वाले समय में अयोध्या सिर्फ एक धार्मिक नगर नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित होगी।
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