पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर गलती से पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करने वाले बीएसएफ जवान पीके साहू को को वहां के रेंजर्स ने अपनी हिरासत में ले रखा है। जवान की रिहाई के लिए कई बार फ्लैग मीटिंग कॉल की गई है, मगर पाकिस्तानी रेंजर्स की तरफ से कोई ठोस रिस्पांस नहीं मिला। पाकिस्तान, जानबूझकर कर फ्लैग मीटिंग को तव्वजो नहीं दे रहा। सूत्रों के मुताबिक, अब बीएसएफ के जवान की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए डिप्लोमेटिक चैनल की मदद ली जा रही है। बीएसएफ के पूर्व अफसरों का कहना है कि गलती से एक दूसरे देश की सीमा में चले जाना कोई बड़ा अपराध नहीं है। पहले भी दोनों पक्षों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। कई बार तो कुछ घंटे बाद ही और वो भी एक ही फ्लैग मीटिंग में मामला निपटा लिया जाता रहा है। इस बार पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति जो सख्त रवैया अपनाया है, उसके चलते बीएसएफ जवान की वापसी में देरी हो रही है। हालांकि इसमें कोई ज्यादा टेंशन की बात नहीं है। पाकिस्तान को देर सवेर बीएसएफ जवान की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करनी होगी।
पीके साहू को वापस लाने के लिए बीएसएफ द्वारा अब तक तीन बार फ्लैग मीटिंग बुलाने की कोशिश की गई है, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। जानकारों का कहना है कि सामान्यतः ऐसी घटनाओं में दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग होती है और मामला जल्द निपटा लिया जाता है। बीएसएफ के पूर्व आईजी बीएन शर्मा के अनुसार, सीमा पार गलती से जाने पर कमांडेंट स्तर की बातचीत से जवानों को छुड़ा लिया जाता है। यदि मामला सुलझता नहीं है, तो डीआईजी और फिर आईजी स्तर पर वार्ता होती है। जब ये सभी प्रयास असफल होते हैं, तब अंततः कूटनीतिक चैनल का सहारा लिया जाता है।
इस बार पाकिस्तान की चुप्पी और फ्लैग मीटिंग में गंभीरता न दिखाने के चलते अब भारत ने कूटनीतिक स्तर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बीएसएफ डीजी दलजीत सिंह चौधरी ने केंद्रीय गृह सचिव से इस मामले में बातचीत की है और गृह मंत्रालय भी पूरी तरह सक्रिय है। सूत्र बताते हैं कि अब विदेश मंत्रालय और भारतीय उच्चायोग इस मुद्दे को पाकिस्तान सरकार के समक्ष उठा रहे हैं ताकि जवान की सुरक्षित और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित हो सके।
बीएसएफ के पूर्व अधिकारियों के अनुसार, जब पाकिस्तान ने खुद स्वीकार कर लिया है कि जवान उनकी हिरासत में है, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है। अगर जवान को किसी भी प्रकार का नुकसान होता है, तो उसकी पूरी जवाबदेही पाकिस्तान पर होगी। बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद का कहना है कि पाकिस्तान की रेंजर्स में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे लंबे समय तक भारतीय जवान को अपनी हिरासत में रखें। पाकिस्तान द्वारा जवान की तस्वीरें जारी करने का मतलब है कि वे इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि जवान उनके पास है।
यह पहली बार नहीं है जब सीमा पर ऐसी घटना हुई है। बीते वर्षों में भी कई बार बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के जवान गलती से एक-दूसरे की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। सामान्य प्रक्रिया के तहत ऐसी घटनाओं में फ्लैग मीटिंग कर कुछ घंटों या दिनों में जवान को लौटा दिया जाता है। लेकिन इस बार पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाया है, जिससे इस मामले का समाधान थोड़ा लंबा खिंच गया है।
जवान पीके साहू के साथ उनकी सर्विस राइफल के अलावा अन्य निजी सामान भी मौजूद है, जिसकी पुष्टि पाकिस्तानी मीडिया द्वारा जारी तस्वीरों से हुई है। इससे साफ है कि पाकिस्तान इस मामले में कोई भी बहाना नहीं बना सकता। वह जवान की हिरासत को नकार भी नहीं सकता और किसी प्रकार की दुर्घटना का दावा भी नहीं कर सकता। अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक, पकड़े गए जवान की सुरक्षा पाकिस्तान की जिम्मेदारी है।
बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस घटना को लेकर पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाए रखना बेहद जरूरी है। जवान की रिहाई के लिए भारत सरकार के सभी स्तरों पर प्रयास जारी हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि पाकिस्तान किसी भी तरह की गलतबयानी न कर सके। भारत ने इस घटना से जुड़े सभी तथ्य पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखने की तैयारी कर ली है ताकि पाकिस्तान पर अतिरिक्त दबाव बनाया जा सके।
बीएसएफ जवान फसल कटाई के दौरान किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात थे। पंजाब और अन्य सीमावर्ती राज्यों में फसल कटाई के समय बॉर्डर के पास किसानों की गतिविधियों में बीएसएफ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। जवान लगातार गश्त करते हैं ताकि किसानों पर सीमा पार से किसी तरह का खतरा न मंडराए। ऐसी जिम्मेदारियों के दौरान गलती से सीमा पार कर जाना एक मानवीय भूल हो सकती है, जिसे आमतौर पर दोनों देश समझते भी हैं।
हालांकि इस बार पाकिस्तान की तरफ से जानबूझकर देर करने की रणनीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान भारत पर दबाव बनाने या किसी तरह की सौदेबाजी करने की कोशिश कर सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून और पूर्व की मिसालों के आधार पर उसे जवान को वापस लौटाना ही होगा।
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