उत्तर प्रदेश

यूपी में एक और बड़ी साजिश: 37 दिन में तीन साजिशें, कहीं किसी बड़ी वारदात के लिए ट्रायल तो नहीं;

उत्तर प्रदेश में पिछले 37 दिनों में तीन गंभीर घटनाएं हुई हैं, जो एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। इन घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित कर दिया है और अब जांच में तेजी लाई जा रही है। क्या ये घटनाएं किसी बड़े हमले के लिए परीक्षण के रूप में देखी जा रही हैं? आइए, इन घटनाओं पर गौर करते हैं।

1. भीमसेन स्टेशन पर घटना (16 अगस्त)

भीमसेन स्टेशन के नजदीक कानपुर-झांसी रूट पर रेलवे लाइन पर लोहे की पटरी फंसाई गई थी। इससे साबरमती एक्सप्रेस के इंजन सहित 22 डिब्बे पटरी से उतर गए, जो यात्रियों के लिए गंभीर खतरा था।

2. बर्राजपुर स्टेशन पर घटना (8 सितंबर)

कानपुर-कासगंज रेलवे लाइन पर बर्राजपुर स्टेशन से आगे, ट्रैक पर एक भरा एलपीजी सिलेंडर और पेट्रोल भरी शीशी रखी गई थी। कालिंदी एक्सप्रेस के इंजन ने इसे टक्कर मारी, जिससे स्थिति और भी खतरनाक हो गई।

3. प्रेमपुर स्टेशन पर घटना (हालिया)

कानपुर हावड़ा रूट पर प्रेमपुर स्टेशन के आगे, लूप लाइन पर एक छोटा एलपीजी सिलेंडर रखा गया था। यह संभावित रूप से एक ट्रेन पलटाने की साजिश थी।

समानताएँ और जांच

इन तीनों घटनाओं में कुछ महत्वपूर्ण समानताएँ हैं, जो जांच एजेंसियों को एक संभावित साजिश के बारे में सोचने पर मजबूर कर रही हैं:

  • भौगोलिक स्थिति: सभी घटनास्थल राष्ट्रीय राजमार्ग के नजदीक हैं, जिससे अपराधियों के लिए भागना आसान हो जाता है।
  • ट्रेन की गति: इन स्थानों पर ट्रेनों की गति तेजी से बढ़ जाती है। भीमसेन स्टेशन के नजदीक ट्रेनें 100 किलोमीटर की गति पकड़ लेती हैं, जबकि प्रेमपुर स्टेशन के आसपास ट्रेनें 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं।
  • सामाजिक कारक: आसपास के लोगों का कहना है कि देर रात में अक्सर लोग गाड़ी में बैठकर शराब पीते हैं। इससे सुरक्षा की स्थिति और भी चिंताजनक बन जाती है।

जांच की प्रक्रिया

इन घटनाओं के बाद, पुलिस, आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स), और जीआरपी (गृह रेलवे पुलिस) ने तात्कालिक कार्रवाई की है।

  • फॉरेंसिक जांच: डॉग स्क्वॉड, बम निरोधक दस्ते और फॉरेंसिक टीमों ने घटनास्थल की गहन जांच की है।
  • गवाहों से पूछताछ: पुलिस ने करीब दो दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की है। उनकी बयानबाजी और घटनाओं के समय की स्थिति को समझने की कोशिश की जा रही है।

जीआरपी ने सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) विश्राम मीणा की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ लोग शरारती तत्वों के रूप में सामने आ सकते हैं।

इन घटनाओं के मद्देनजर, सुरक्षा एजेंसियों को यह डर है कि कहीं ये घटनाएं किसी बड़ी वारदात के लिए ट्रायल तो नहीं हो सकती हैं। इस प्रकार की संभावित साजिशों को रोकने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:

  1. सुरक्षा की बढ़ती हुई निगरानी: रेलवे स्टेशनों और ट्रैक पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
  2. पुलिस की गश्त में वृद्धि: सुरक्षा बलों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
  3. स्थानीय समुदाय की भागीदारी: स्थानीय लोगों को इस तरह की घटनाओं के प्रति सतर्क रहने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
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