Tahawwur Rana:कमर में बेड़ियां…. हाँथो और पैंरो में हथकड़ियां, आतंकी राणा के प्रत्यर्पण की तस्वीरें सामने आई हैं 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को शुक्रवार को आखिरकार भारत में ले आया गया। विशेष विमान से भारत पहुंचे Tahawwur Rana को देर रात एनआईए ने विशेष अदातल में पेश किया। मुंबई हमले का मास्टर माइंड तहव्वुर राणा भारत लाया जा चुका है। एनआईए अदालत ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। राणा को कल विशेष विमान से अमेरिका से दिल्ली लाया गया था। राणा को भारतीय अधिकारियों को यूएस मार्शल ने सौंपा था।
इसी बीच अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने प्रत्यर्पण की तस्वीरें जारी की हैं। सामने आई तस्वीरों में आतंकी राणा बेड़ियों में जकड़ा नजर आ रहा है। कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी मार्शलों ने मंगलवार को पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा की हिरासत भारत के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी थी। जिसके बाद भारतीय विमान ने बुधवार रात को अमेरिका से उड़ान भरी थी। बीच में विमान एक ब्रेक लिए था। जिसके बाद गुरुवार शाम 6 बजे के बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। अजमल कसाब और जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल के बाद राणा मुंबई आतंकी हमला मामले में भारत में मुकदमा चलाने वाला तीसरा व्यक्ति होगा। राणा को गुरुवार देर रात जेल वैन, बख्तरबंद स्वाट वाहन और एम्बुलेंस सहित काफिले में पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने एनआईए का प्रतिनिधित्व किया।
कार्यवाही से पहले विशेश अदालत के न्यायाधीश ने राणा से पूछा कि क्या उसके पास कोई वकील है? इस पर राणा ने कहा कि उसके पास कोई वकील नहीं है। जिसके बाद जज ने उसे सूचित किया कि दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण से उसे एक वकील मुहैया कराया जा रहा है। उसके बाद अधिवक्ता पीयूष सचदेवा को उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया। एजेंसी ने कहा कि राणा को लॉस एंजिलिस से एक विशेष विमान में एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों की सुरक्षा में दिल्ली लाया गया। इसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। एयरपोर्ट पर एनआईए की जांच टीम ने सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद राणा को गिरफ्तार कर लिया और उसकी मेडिकल जांच कराई। मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने पर पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसका राणा से कोई लेना देना नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि राणा कनाडा का नागरिक और उससे उनके देश का कुछ भी लेना देना नहीं है। राणा ने दो दशकों से अधिक समय से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। एनआईए ने अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों, एनएसजी के साथ मिलकर पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंजाम दिया।
राणा को अमेरिका में भारत-अमेरिकी प्रत्यर्पण संधि के तहत एनआईए की ओर से शुरू की गई न्यायिक कार्यवाही के आधार पर हिरासत में लिया गया था। राणा की कई कानूनी अपीलों और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका के खारिज हो जाने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो पाया। इसमें अमेरिकी न्याय विभाग के अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी ऑफिस, यूएस मार्शल सेवा, एफबीआई के नई दिल्ली स्थित कानूनी अटैच, और यूएस विदेश विभाग के लीगल एडवाइजर फॉर लॉ एन्फोर्समेंट के कार्यालयों का सक्रिय सहयोग रहा। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के निरंतर प्रयासों से भगोड़े राणा के लिए प्रत्यर्पण वारंट हासिल किया गया। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम था ताकि आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों को दुनिया के किसी भी कोने से न्याय के कठघरे में लाया जा सके।
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो 26/11 हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमेन हेडली के साथ मिलकर काम करता था। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को मुंबई में संभावित हमले के लक्ष्यों की पहचान करने में सहायता की थी। इसके अलावा, उस पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध होने का भी आरोप है।
अगस्त 2024 में, एक अमेरिकी अदालत ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। इसके बाद, राणा ने अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दायर की, जिसमें उसने तर्क दिया कि उसे पाकिस्तान मूल का होने के कारण भारत में प्रताड़ित किया जा सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, जिससे उसके प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राणा को विशेष विमान से अमेरिका से भारत लाया गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों ने उसकी सुरक्षा में उसे गिरफ्तार किया। पटियाला हाउस कोर्ट में उसे एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया। राणा को एक सरकारी वकील प्रदान किया गया, क्योंकि उसने निजी वकील की नियुक्ति से इंकार कर दिया था।
राणा के प्रत्यर्पण पर पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें कहा गया कि राणा कनाडा का नागरिक है और उससे पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने यह भी उल्लेख किया कि राणा ने दो दशकों से अधिक समय से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है।
राणा के भारत आगमन से जांच एजेंसियों को 26/11 हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता को उजागर करने में सहायता मिलने की संभावना है। राणा की भूमिका और उसके नेटवर्क के बारे में पूछताछ से कई अनसुलझे पहलुओं पर से पर्दा उठ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि राणा के बयान से लश्कर-ए-तैयबा और ISI के बीच संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
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