उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां सात सवारियों की क्षमता वाली एक प्राइवेट कार में 12 लोग सवार थे, और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हादसा मझिला थाना क्षेत्र के भूपापुरवा मोड़ पर हुआ जब बरातियों से भरी अर्टिगा कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खंती में जा गिरी। इस भीषण हादसे में छह लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो सगे भाई और उनके बहनोई भी शामिल हैं, जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कार पाली के मोहल्ला भगवंतपुर निवासी रामू चला रहा था, जो स्थानीय निवासी शाजेब की प्राइवेट कार को किराए पर लेकर चला करता था। हादसे के समय बरात नीरज नामक युवक के यहां से जा रही थी। कार में शुरुआत में केवल आठ लोग सवार थे, लेकिन बरात से लौटते समय कुछ और लोग सवार हो गए जिससे कार की सवारी क्षमता से कहीं अधिक लोग उसमें बैठ गए।
घटना की भयावहता तब और बढ़ गई जब कार खंती में गिरने के बाद ऑटोमेटिक लॉक हो गई, जिससे उसमें फंसे लोग बाहर नहीं निकल सके। दरवाजे और खिड़कियां नहीं खुल रही थीं, और कार के अंदर मौजूद यात्री तड़पते रहे। कार में फंसे घायलों को विंडस्क्रीन तोड़कर बाहर निकाला गया। इस रेस्क्यू के दौरान चालक रामू की गर्दन में शीशा घुस गया, जबकि उदयवीर नामक युवक का बायां हाथ शरीर से अलग हो गया। यह हादसा इतना भयावह था कि मौके पर ही कई लोगों की जान चली गई।
हादसे से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कार चालक की बगल वाली सीट पर दो युवक पहले से ही बैठे थे। कार में अत्यधिक लोगों की सवारी से उसका संतुलन बिगड़ना स्वाभाविक था। घटना की जांच में यह भी सामने आया कि बरात से वापस आते समय जितेंद्र के बहनोई जौहरी और उसका पुत्र सिद्धार्थ बस में बैठ चुके थे, लेकिन जितेंद्र के कहने पर उन्हें वापस कार में बैठा लिया गया, और अंततः यही कार दुर्घटना का शिकार हो गई।
मृतकों में दूल्हे का चचेरा बहनोई जौहरी भी शामिल है, जो पहले शादी में शामिल नहीं होना चाहता था। पारिवारिक नाराजगी के कारण उसने मना किया था, लेकिन नीरज और जीतेंद्र के आग्रह पर वह बरात में गया, पर वापस नहीं लौट सका। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं बल्कि मानव लापरवाही, क्षमता से अधिक सवारी, तकनीकी खामी और भावनात्मक दबाव के सम्मिलित परिणाम का उदाहरण बन गया।
क्षमता से अधिक सवारी: सात सवारियों के लिए बनी कार में 12 लोगों का बैठना असंतुलन और ओवरलोडिंग का कारण बना।
कार का ऑटोमेटिक लॉक होना: दुर्घटना के बाद कार का लॉकिंग सिस्टम एक्टिव हो गया जिससे यात्री बाहर नहीं निकल पाए।
रात का समय और दृश्यता की कमी: रात में कम दृश्यता और तेज रफ्तार ने हादसे को और भयावह बना दिया।
भावनात्मक दबाव और निर्णय में जल्दबाजी: रिश्तों को निभाने के चक्कर में यात्रियों ने जोखिम भरे फैसले लिए।
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