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इस्लाम इतना कमजोर नहीं कि कुंभ देखने पर वह खतरे में पड़ जाएगा, महाकुंभ के इतिहास में यह पहली बार हो रहा जब…

प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे महाकुंभ को लेकर एक नई चर्चा ने जन्म लिया है। यह पहली बार है जब महाकुंभ के आयोजन में मुसलमानों की भागीदारी या उनके प्रवेश को लेकर इतनी चर्चा हो रही है। कुछ संगठनों द्वारा मुसलमानों के महाकुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है, जिसे लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं और समाज के विभिन्न वर्गों में मतभेद सामने आए हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में यह आशंका जताई कि महाकुंभ में सैकड़ों मुसलमानों का धर्मांतरण कराने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने सरकार से ऐसे किसी भी मंसूबे को नाकाम करने की अपील की है। हालांकि, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा मुसलमानों के महाकुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग का विरोध किया था। अब उनकी यह नई सलाह उनके बदलते नजरिए को दर्शाती है।

धर्मांतरण की आशंका पर विवाद
मौलाना रजवी ने अपने बयान को सही ठहराते हुए कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली थी कि महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक जागरूक नागरिक के तौर पर मुख्यमंत्री को इस आशंका से अवगत कराया। उन्होंने आगे कहा कि अखाड़ा परिषद और नागा साधुओं द्वारा मुसलमानों के महाकुंभ में दुकान लगाने पर पाबंदी की बात कही गई थी।

दूसरी ओर, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने रजवी की इस आशंका को खारिज करते हुए कहा कि अगर किसी की धार्मिक आस्था मजबूत है तो कोई भी उसका धर्मांतरण नहीं करा सकता। अब्बास ने यह भी कहा कि इस्लाम इतना कमजोर नहीं है कि किसी मेले में जाने या किसी धार्मिक स्थल को देखने से उसे खतरा हो जाए।

संवैधानिक अधिकार और धर्मनिरपेक्षता
जमीयत उलमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी की मांग करना संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इस प्रकार की मांगें संविधान की आत्मा के खिलाफ हैं।

सनातनी समाज और मुसलमानों की भागीदारी
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हाल ही में आधार कार्ड के आधार पर महाकुंभ में प्रवेश की बात कही है ताकि गैर-हिंदू लोग मेला क्षेत्र में न आ सकें। इस बयान के बाद बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

हालांकि, उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि मुसलमान महाकुंभ की व्यवस्था में योगदान देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग सनातनी संस्कारों के विपरीत है।

महाकुंभ में ज्ञान और आस्था का मेल
मुसलमानों के महाकुंभ में भाग लेने को लेकर दो तरह की विचारधाराएं हैं। कुछ धर्मगुरु इसे धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद का अवसर मानते हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ मानते हैं। मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि अगर कोई मुसलमान ज्ञानवर्धन के उद्देश्य से महाकुंभ में जाता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।

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