17 सितंबर 2024: हरियाणा विधानसभा चुनावों की तैयारी चरम पर है, और अंबाला कैंट सीट पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं। अंबाला कैंट की सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच की सियासी जंग अब एक नई दिशा में बढ़ रही है, खासकर कांग्रेस के भीतर बगावत के चलते।
अंबाला कैंट सीट पर भाजपा के छह बार के विधायक और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज चुनावी मैदान में हैं। विज ने अंबाला में कई विकास परियोजनाओं का दावा किया है और वे इन उपलब्धियों को चुनावी प्रचार में प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं, सड़कें, सीवरेज, और शहीद स्मारक जैसी परियोजनाओं का उल्लेख किया है। विज का कहना है कि उन्होंने छावनी में घरेलू सिविल एनक्लेव का काम भी पूरा कर दिया है।
वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी परविंदर सिंह परी का आरोप है कि भाजपा ने पिछले 10 सालों में कोई वास्तविक लाभ नहीं पहुंचाया। उन्होंने कहा कि एक ही सड़क को बार-बार तोड़ा जा रहा है और यहां धन की बर्बादी हो रही है। कांग्रेस का मानना है कि जनता भाजपा के पिछले कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देखकर अब बदलाव चाहती है।
कांग्रेस के लिए एक और चुनौती उनके ही भीतर से आ रही है। पूर्व पार्षद परविंदर सिंह परी के खिलाफ कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरीं चित्रा सरवारा ने चुनावी समीकरण को और जटिल कर दिया है। चित्रा ने पिछले चुनाव में भी कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रही थीं। उनके कांग्रेस के खिलाफ खड़े होने से पार्टी को एक बार फिर आंतरिक बगावत का सामना करना पड़ रहा है।
चित्रा ने आरोप लगाया है कि अंबाला कैंट में पानी की निकासी की समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया और विकास के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद किए गए हैं। उनका कहना है कि यहां जलभराव और सीवर की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं किया गया है और क्षेत्र में भ्रष्टाचार भी फैला हुआ है।
अंबाला कैंट सीट पर अन्य उम्मीदवारों में आम आदमी पार्टी की राजविंदर कौर, जननायक जनता पार्टी के अवतार सिंह, युगा थुलासी पार्टी के नवीन कुमार, और निर्दलीय प्रत्याशी जसविंदर, सुधीर कुमार, रामसिंह, सुनील वर्मा, नवीन बिदला और धर्मेश सूद शामिल हैं। इन प्रत्याशियों की चुनावी रणनीतियाँ और चुनावी गणित भी इस त्रिकोणीय मुकाबले को और जटिल बना रहे हैं।
अंबाला कैंट में त्रिकोणीय मुकाबला इस बार खासा दिलचस्प होने वाला है। भाजपा जहां विकास कार्यों और परियोजनाओं का हवाला देकर चुनावी प्रचार कर रही है, वहीं कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच बगावत और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस बार कांग्रेस की आंतरिक अस्थिरता और निर्दलीय उम्मीदवारों की चुनौती भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है। अंबाला कैंट की इस सियासी लड़ाई में अंतिम परिणाम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
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