जल विवाद

पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चला आ रहा जल विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला भाखड़ा बांध से पानी छोड़े जाने को लेकर है। पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने भाखड़ा बांध से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया है। पंजाब सरकार का कहना है कि हरियाणा ने पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया है और अब राज्य मानवीय आधार पर केवल 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ रहा है।

इस पूरे विवाद की जड़ 2 मई को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने की थी। इस बैठक में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को सलाह दी गई थी कि हरियाणा को 8 दिनों के भीतर 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ा जाए, जिससे राज्य की जल आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इसके आधार पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 6 मई को पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह बैठक में लिए गए निर्णयों का पालन करे।

हालांकि अब पंजाब ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस आदेश की समीक्षा या संशोधन की मांग की है। पंजाब सरकार का तर्क है कि केंद्रीय गृह सचिव जल वितरण के संबंध में निर्णय लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं। सरकार ने कहा है कि BBMB नियमों के तहत जल आवंटन संबंधी फैसले विद्युत मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है, न कि गृह मंत्रालय की।

कानूनी मोर्चे पर भी बढ़ा संघर्ष

पंजाब सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि 2 मई की बैठक वास्तव में कानून-व्यवस्था की स्थिति से संबंधित थी, न कि जल बंटवारे के मुद्दे से। इस बैठक का कोई विशेष एजेंडा नहीं था, फिर भी इसे जल आवंटन से जोड़ दिया गया। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोर्ट के समक्ष यह धारणा दी गई कि बैठक विशेष रूप से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के लिए आयोजित की गई थी, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है।

इस पूरे मामले में एक और नया मोड़ तब आया जब पंजाब सरकार ने BBMB के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी। सरकार का आरोप है कि उन्होंने कोर्ट में जानबूझकर गलत जानकारी दी। सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, 8 मई को कोर्ट में त्रिपाठी ने कहा था कि उन्हें केवल स्थानीय नागरिकों ने घेर रखा था और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने हलफनामे में दावा किया कि उन्हें अवैध हिरासत में रखा गया था। यह दोनों बयान एक-दूसरे से पूरी तरह विरोधाभासी हैं।

बीएनएसएस के तहत कार्रवाई की मांग

पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 379 और धारा 215 के तहत त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। धारा 215 के तहत जानबूझकर गलत हलफनामा प्रस्तुत करना अपराध की श्रेणी में आता है।

पानी का बंटवारा बना राजनीतिक और कानूनी मुद्दा

पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद दशकों पुराना है, लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इसे और अधिक संवेदनशील बना दिया है। जहां हरियाणा की मांग है कि उसे अतिरिक्त पानी मिले ताकि फसलों और पीने के पानी की जरूरतें पूरी हो सकें, वहीं पंजाब का दावा है कि वह पहले ही अपना हिस्सा दे चुका है और उसके पास अब अतिरिक्त जल नहीं है।

पंजाब सरकार का यह भी कहना है कि मानवीय आधार पर पहले ही 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है और इसके बावजूद अदालत द्वारा अतिरिक्त 4,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश न केवल अव्यवहारिक हैं, बल्कि विधिक रूप से भी अनुचित हैं।

भाखड़ा बांध का यह ताजा विवाद केवल पानी के बंटवारे का मामला नहीं है, बल्कि यह राज्यों के अधिकारों, केंद्र और राज्य के रिश्तों, और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता जैसे गंभीर सवाल भी खड़े करता है। हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई और पंजाब सरकार की याचिका से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी जटिल हो सकता है।

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