संजय रॉय

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संजय रॉय की सजा का ऐलान आज सियालदह की अदालत में होगा। इस हृदय विदारक घटना ने न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

क्या है मामला?

9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार कक्ष में 31 वर्षीय महिला चिकित्सक का शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया था। इस महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और फिर हत्या किए जाने के आरोप में पुलिस ने अगले दिन यानी 10 अगस्त 2024 को संजय रॉय को गिरफ्तार किया।

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई। देशभर में इस घटना के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, और न्याय की मांग तेज हो गई।

संजय रॉय को दोषी ठहराने का फैसला

शनिवार, 18 जनवरी 2025 को सियालदह की अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने संजय रॉय को भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी करार दिया।

  • धारा 64 (दुष्कर्म): इसके तहत 10 साल की न्यूनतम सजा और आजीवन कारावास का प्रावधान है।
  • धारा 66: इसमें कम से कम 20 साल की सजा या आजीवन कारावास हो सकता है।
  • धारा 103(1) (हत्या): इसमें अधिकतम सजा मृत्युदंड है, जबकि न्यूनतम आजीवन कारावास का प्रावधान है।

संजय रॉय

सीबीआई को सौंपी गई जांच

इस संवेदनशील मामले की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच को कोलकाता पुलिस से हटाकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया। सीबीआई ने जांच के दौरान कई ठोस सबूत अदालत में पेश किए, जिनके आधार पर संजय रॉय को दोषी ठहराया गया।

संजय रॉय का दावा

शनिवार को अदालत में दोषी करार दिए जाने के बाद संजय रॉय ने दावा किया कि उन्हें फंसाया गया है। हालांकि, न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए उन्हें दोषी करार दिया।

क्या हो सकती है सजा?

संजय रॉय को सजा आज दोपहर 12:30 बजे सुनाई जाएगी। अदालत के सामने अब दो विकल्प हैं:

  1. मृत्युदंड (फांसी): धारा 103(1) के तहत, जघन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।
  2. आजीवन कारावास: यदि अदालत मृत्युदंड नहीं देती है, तो न्यूनतम सजा आजीवन कारावास हो सकती है।

घटना के बाद का आक्रोश

इस घटना के बाद देशभर में लोगों ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह घटना मेडिकल पेशे से जुड़े लोगों के लिए भी एक बड़ा झटका थी, क्योंकि यह वारदात एक अस्पताल परिसर के अंदर हुई थी।

संवेदनशील मामलों में न्याय का महत्व

इस केस ने एक बार फिर भारत में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर बहस को जन्म दिया है। दुष्कर्म और हत्या जैसे अपराधों के लिए सख्त सजा की मांग समय-समय पर उठती रही है।

अदालत का अंतिम फैसला

आज का दिन न्यायिक इतिहास में महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि सियालदह अदालत दोपहर में इस जघन्य अपराध के लिए दोषी को सजा सुनाएगी। यह सजा न केवल पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने में मदद करेगी, बल्कि समाज को यह संदेश भी देगी कि ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड तय है।

 

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