बजट सत्र के तीसरे दिन में सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य महाकुंभ में मची भगदड़ की घटना पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा, ‘इस विषय का उल्लेख राष्ट्रपति महोदया ने अपने अभिभाषण में किया था। आप लोग अभिभाषण पर चर्चा के दौरान यह विषय रख सकते हैं।’
बजट सत्र के तीसरे दिन सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। वे महाकुंभ में मची भगदड़ की घटना पर सरकार से जवाब की मांग कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में नारेबाजी करने वाले विपक्षी दलों के सांसदों से कहा कि यदि जनता ने उन्हें नारे लगाने के लिए भेजा है जो यही काम करें या फिर कार्यवाही चलने दें।
दरअसल, बजट सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य महाकुंभ में मची भगदड़ की घटना पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा, ‘इस विषय का उल्लेख राष्ट्रपति महोदया ने अपने अभिभाषण में किया था। आप लोग अभिभाषण पर चर्चा के दौरान यह विषय रख सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें सरकार की जवाबदेही तय की जा सकती है। बिरला ने विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की। समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य जब आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे तो बिरला ने कहा, ‘आपको जनता ने मेज तोड़ने के लिए नहीं भेजा है। प्रश्न पूछने के लिए भेजा है। अगर इसीलिए भेजा है तो जोर-जोर से मारिए।
उन्होंने कहा, ‘अगर आपको देश की जनता ने नारेबाजी के लिए भेजा है तो यही काम करिए। यदि सदन चलाना चाहते हैं तो अपनी सीट पर जाकर बैठिए।’ उन्होंने प्रश्नकाल के बाद विपक्षी सदस्यों से कहा कि मैं आप सबसे आग्रह करना चाहता हूं कि आप जिन भी विषयों को उठाना चाहते हैं, राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा में उन सभी को उठा सकते हैं। आपको पर्याप्त समय और अवसर दिया जाएगा।
बिरला ने कहा कि कई मंचों पर यह निर्णय हुआ है कि प्रश्नकाल स्थगित नहीं होना चाहिए, यह सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अन्य मुद्दे प्रश्नकाल के बाद उठाए जाने की परंपरा कायम की जानी चाहिए। उन्होंने हंगामा करने वाले सांसदों से कहा, ‘हम संकल्प लें कि प्रश्नकाल कभी स्थगित न हो। यह मेरा आग्रह है। यदि आप नारेबाजी करने आए हैं, संसद को नियोजित तरीके से स्थगित कराने आए हैं, मेजें थपथपाने आए हैं तो मैं आपसे कुछ नहीं कह सकता। मैं आग्रह ही कर सकता हूं।
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