गुजरात में बीजेपी के 82 उम्मीदवार जीते
मुसलमानों की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। जो दुसरी पार्टियों खासकर कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब हो सकती है। दरअसल बात गुजरात की करें तो यहां पर अलग की सियासी खिचड़ी पक रही है। ऐसा माना जा रहा है क्योंकि बीजेपी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में मुस्लिम कैंडिडेट को भी उतार सकती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि राज्य में दिल्ली चुनावों के बाद हुए स्थानीय निकाय के चुनावों मे पार्टी ने बड़ी संख्या में मुस्लिम कैंडिडेट खड़े किए थे। इसमें रिकॉर्ड 82 मुस्लिम कैंडिडेट जीतने में सफल रहे हैं।। इसके बाद से संभावना जताई जा रही है कि क्या बीजेपी विधानसभा चुनावों में मुस्लिम कैंडिडेट नही खड़ा करने की परंपरा को तोड़ेगी। हालांकि गुजरात में अभी विधानसभा चुनावों के लिए काफी वक्त है। स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों पर ही गौर किए जाए तो गुजरात में अल्पसंख्यक आबादी अब पूरी तरह से बीजेपी के पाले में आती दिख रही है। भले ही समान नागरिक संहिता, तीन तलाक और वक्फ के मुद्दे पर विपक्ष शोर मचाने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए, भविष्य में बीजेपी में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चीजें बदल सकती हैं।
बता दें कि जून 2013 तक राज्य में मुसलमानों के बीजेपी में शामिल होने के कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे और सूरत में ऐसे ही एक कार्यक्रम में करीब 4,000 से ज्यादा मुसलमान बीजेपी में शामिल हो गए थे। तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ओर से कई आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें उनका प्रसिद्ध ‘सद्भावना मिशन’ भी शामिल था, जिसमें मुसलमानों को भाग लेने और अपनी चिंताओं को उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में बीजेपी ने इस बार 103 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, इनमें से 33 महिलाएं थीं। खासकर पाटन, खेड़ा, पंचमहल और जूनागढ़ जिलों में बीजेपी को मुस्लिम उम्मीदवारों के ज़रिए सफलता मिली, जहां पिछली बार पार्टी का खाता तक नहीं खुला था। 2018 में के नगर पालिकाओं चुनाव में 46 मुस्लिम उम्मीदवारों ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। इस साल ये संख्या बढ़कर 82 तक पहुंच गई। इसमें 33 महिलाएं भी शामिल हैं।
बीजेपी के राज्य अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष मोहसिन लोखंडवाला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गुजरात के मुसलमानों ने कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ BJP की विकास की राजनीति को अपनाने का मन बना लिया है। राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं से मुस्लिम समुदाय को लाभ मिला है। हम मुसलमानों को लगता है कि BJP हमारे साथ भेदभाव नहीं करती और हमें योजनाओं का लाभ दिल से देती है।
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