समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर केंद्र सरकार की जातीय जनगणना संबंधी पहल का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि अगर देश के 90 फीसदी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग के लोग एकजुट हो जाते हैं, तो सौ फीसदी जीत तय है।

अखिलेश यादव ने यह बयान बृहस्पतिवार को लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के फैसले को स्वागत योग्य कदम बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, असली लड़ाई अब शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का सही और निष्पक्ष तरीके से होना बेहद ज़रूरी है, ताकि कोई गड़बड़ी या पक्षपात न हो। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सरकार अगर धांधली करती है या प्रक्रिया को विकृत करती है, तो जनता माफ नहीं करेगी।

क्या है पीडीए और क्यों इसकी बात कर रहे हैं अखिलेश?

पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक — समाज का वह वर्ग जिसे लंबे समय से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा गया। अखिलेश यादव ने इस वर्ग की एकजुटता को राजनीति की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि देश की 90 फीसदी आबादी इसी वर्ग से आती है। अगर ये लोग एकजुट हो जाएं, तो कोई भी सत्ता उन्हें रोक नहीं सकती। उन्होंने दावा किया कि आने वाले चुनावों में यही वर्ग निर्णायक भूमिका निभाएगा और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करेगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक इस वर्ग की संख्या का आंकड़ा सामने नहीं आएगा, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा। जातीय जनगणना के आंकड़ों से पता चलेगा कि कौन से वर्ग को कितना प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इसके आधार पर नीतियों और योजनाओं का निर्धारण किया जा सकेगा, जिससे समाज में वास्तविक समानता स्थापित की जा सकेगी।

जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय

जातीय जनगणना को लेकर देश में पिछले कुछ वर्षों से मांग उठती रही है, खासतौर पर ओबीसी वर्ग द्वारा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती है। इससे सरकारों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस जाति या समुदाय की आबादी कितनी है और उन्हें कितनी भागीदारी मिली है।

अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के बिना सामाजिक न्याय की बात करना केवल एक दिखावा है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पहले इस मुद्दे को नजरअंदाज करती रही है, लेकिन अब जब INDIA गठबंधन ने इसे अपने एजेंडे में शामिल किया और इस पर आंदोलन तेज किया, तो सरकार को झुकना पड़ा।

उन्होंने कहा कि यह भारत के संविधान और लोकतंत्र की जीत है। देश मन-विधान से नहीं, संविधान से चलेगा। जातीय जनगणना को लेकर जो कदम सरकार ने उठाया है, वह दबाव में लिया गया निर्णय है, लेकिन यह सकारात्मक है।

निजी क्षेत्र में आरक्षण पर बहस की मांग

अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना के साथ-साथ निजी क्षेत्र में आरक्षण की बहस को भी जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि जब देश में आबादी के आंकड़े सामने आएंगे, तो यह बात भी तय हो सकेगी कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को निजी कंपनियों में भी आरक्षण मिले या नहीं। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों की संख्या दिन-ब-दिन घट रही है और निजी क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है। ऐसे में अगर सामाजिक न्याय की अवधारणा को साकार करना है, तो निजी क्षेत्र में भी पिछड़े और दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार के शासनकाल में आउटसोर्सिंग की प्रक्रिया ने युवाओं को ठगा है। युवाओं को स्थाई नौकरी नहीं मिलती, ऊपर से मजदूरी में भी कमीशनखोरी व्याप्त हो चुकी है।

श्रमिकों की स्थिति पर चिंता

मीडिया को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने मजदूरों और श्रमिकों की दशा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश का मजदूर वर्ग आज भी सम्मान और सुरक्षा से वंचित है। अलग-अलग बाजारों में काम कर रहे मजदूरों की चुनौतियां एक जैसी हैं। उन्हें मशीन समझा जाता है, जबकि वे समाज की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश का आंकड़ा निकाला जाए, तो 99 फीसदी मजदूर पीडीए वर्ग से होंगे, यानी वे लोग जो अब भी जीवन की बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि यह वही वर्ग है जो सबसे ज्यादा श्रम करता है, सबसे कम कमाता है, और सबसे ज्यादा उपेक्षा का शिकार होता है। अगर सरकार को सही मायनों में सामाजिक न्याय की स्थापना करनी है, तो इसे ध्यान में रखना होगा।

राजनीतिक रणनीति और चुनावी समीकरण

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला 2024 और 2025 के चुनावों के लिए एक मजबूत रणनीति है। पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग उत्तर प्रदेश की आबादी में बड़ा हिस्सा रखते हैं और अगर ये एकजुट हो जाएं, तो किसी भी दल के लिए उन्हें रोकना मुश्किल होगा।

जातीय जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी लंबे समय से मांग कर रही है, और अब जब केंद्र सरकार ने इसकी प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है, तो सपा इसे अपनी वैचारिक जीत मान रही है। अखिलेश यादव का यह कहना कि यह इंडिया गठबंधन की नीति की जीत है, उसी रणनीति का हिस्सा है जिससे भाजपा को घेरा जा सके।

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