जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के 11 दिन बाद राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली पहुंचे और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह मुलाकात न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है, बल्कि घाटी में आतंकवाद के बढ़ते खतरे के मद्देनज़र इसकी रणनीतिक महत्ता भी है। कश्मीर में बढ़ती उथल-पुथल और पर्यटन को निशाना बनाते हुए हुए इस आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है।
पहलगाम में हुआ भीषण हमला, 26 की मौत
मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को दोपहर के समय जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर इलाके के पास आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस हमले में कुल 26 लोगों की मौत हो गई जिनमें से 22 पर्यटक थे, दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमलावरों ने अचानक हमला किया और भारी हथियारों से गोलियों की बौछार कर दी। यह हमला पुलवामा 2019 के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया: तुरंत हरकत में आई एजेंसियां
घटना के तुरंत बाद केंद्र और राज्य सरकार हरकत में आई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और स्थानीय पुलिस बल ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया। सर्च ऑपरेशन में कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया और सीमावर्ती इलाकों की घेराबंदी कर दी गई। जांच एजेंसियों का कहना है कि हमले में शामिल आतंकवादी संभवतः विदेशी प्रशिक्षित आतंकियों का एक समूह था, जिनके तार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े हो सकते हैं।
उमर अब्दुल्ला की पीएम मोदी से मुलाकात: सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा
हमले के बाद के हालात पर नजर रखने के लिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की। यह बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में हुई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार बैठक में कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था, आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ने की रणनीति और आतंक प्रभावित क्षेत्रों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान
मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “यह एक बेहद दुखद घटना है। हमारी प्राथमिकता है कि कश्मीर को आतंक के साए से बाहर निकाला जाए। केंद्र सरकार और सुरक्षाबल पूरी तरह से सतर्क हैं। प्रधानमंत्री से हुई बातचीत में हमने कश्मीर के सामान्य नागरिकों और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की।” उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी और संवेदनशील इलाकों में तकनीकी निगरानी और गश्त बढ़ाई जाएगी।
विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं कि आखिर इतने बड़े हमले को अंजाम कैसे दिया गया जबकि कश्मीर में सुरक्षाबल की भारी तैनाती रहती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, “पुलवामा के बाद सबसे बड़ा हमला हुआ है और अब सरकार को सिर्फ निंदा नहीं, ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।” वहीं एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आतंकी हमले इस बात का संकेत हैं कि हमारी खुफिया तंत्र में कहीं न कहीं चूक हुई है।
सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चुनौती
कश्मीर में इस समय सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आतंकी तत्व अब टूरिज़्म सेक्टर को टारगेट करने लगे हैं। जहां एक ओर सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर आतंकी संगठन बार-बार माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस वर्ष के पहले चार महीनों में कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। खासकर अनंतनाग, शोपियां, और अब पहलगाम जैसे क्षेत्रों में विदेशी आतंकियों की उपस्थिति की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, फ्रांस, और जापान जैसे देशों ने इस आतंकी हमले की निंदा की है। अमेरिका की विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा कि भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और आतंक के खिलाफ उसकी लड़ाई में समर्थन जारी रहेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना मानवता के खिलाफ अपराध है।