महाभारत में विदुर का यमराज के अवतार के रूप में विवरण
विदुर को आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्या आप ये जानते है कि विदुर को यमराज का अवतार क्यों कहा जाता है। नहीं पता होगा लेकिन इस आर्टिकल के बाद आपको विदुर के बारे में सब पता चल जाएगा। विदुर का नाम आते ही हमें याद आती है महाभारत की, जब महाभारत का रण बिल्कुल तैयार था, और धृतराष्ट्र खुद को बेहद लाचार महसूस कर रहे थे।
जो कि जायज भी था क्योंकि अंत के बारे में सभी को पता था। धृतराष्ट्र ने अपनी ये इच्छा विदुर के सामने जाहिर की तो उन्होंने उनकी इस बात को समझा। और ऐसी दृष्टि प्राप्त की जिसके कारण वो धृतराष्ट्र को युद्ध का हर मंजर बताने में सफल हुए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इस दिव्य दृष्टि से नवाजा था। और विदुर भी उन्हीं महान शख्सियत में शामिल थे जिन्होंने महाभारत का संपूर्ण युद्ध देखा था। और यहां एक और बात बता दें कि विदुर जैसा महान ज्ञाता जिसने महाभारत युद्ध में हिस्सा तो नहीं लिया लेकिन उन्होंने अपनी नीति, दर्शन, धर्म, और राजकीय प्रशासन से जुड़े सभी कार्यों को पूर्ण दक्षता के साथ संपन्न किया। महाभारत में विदुर का अत्यधिक महत्व है, और उन्हें यमराज का अवतार माना जाता है।
विदुर का जन्म और उनका परिचय
सबसे पहले जान लेते है कि आखिर विदुर थे कौन? विदुर का जन्म कैसे हुआ। तो आपको बता दें कि विदुर का जन्म महात्मा वेदव्यास के द्वारा हुआ था, जिन्होंने महाभारत की रचना की थी। वेदव्यास के ऋषि पुत्र होने के कारण विदुर को महान ज्ञान और गहरी समझ का वरदान प्राप्त था। विदुर धृतराष्ट्र और पाण्डु के भाई थे अर्थात् पांडवों और कौरवों के चाचा थे। और उन्होंने महाभारत युद्ध को भी रोकने की पूरी कोशिश की।
उन्होंने पांडवों और कौरवों दोनों को समझाने का भरपूर प्रयास किया। विदुर का जन्म दासी के गर्भ से हुआ था, इसलिए वे राजा शांतनु के अन्य बेटों की तरह शाही बेटे नहीं थे, लेकिन उनके बुद्धिमत्ता और नीति के कारण वे महाभारत में एक प्रमुख पात्र बने।
विदुर के जन्म के समय, यमराज ने उनके रूप में अवतार लिया था, क्योंकि यमराज को धर्म, न्याय और नीति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि विदुर को धर्मराज यमराज के अवतार के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनका जीवन कर्म, नीति और सत्य के पक्ष में रहा, और उन्होंने कभी भी गलत कार्यों को स्वीकार नहीं किया।
विदुर की भविष्यवाणी और यमराज के रूप में उनका उद्देश्य
विदुर को यमराज का अवतार माना जाता है, क्योंकि वे हमेशा अपने कार्यों और विचारों में न्याय, सत्य और धर्म का पालन करते थे। यमराज, जो मृत्यु के देवता और न्याय के प्रतीक हैं, उनका कार्य केवल मृत्यु तक सीमित नहीं है, वे कर्मों के अनुसार न्याय का वितरण करते हैं, जैसे विदुर ने अपने जीवन में धर्म और न्याय का पालन किया।
विदुर के द्वारा की गई कई भविष्यवाणियां महाभारत के युद्ध से पहले ही कर दी गई थीं, और वे समय-समय पर कौरवों को सचेत करते रहते थे। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि यदि पांडवों को उनका अधिकार नहीं दिया गया, तो कौरवों का विनाश निश्चित है। उनका यह संदेश यमराज के न्याय का प्रतीक था, क्योंकि यमराज समय आने पर हर जीव के कर्मों का हिसाब लेते हैं।