भाजपा ने पहली बार विधानसभा में पहुंची रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है, जबकि आम आदमी पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया है।
दिल्ली विधानसभा का राजनीतिक इतिहास भी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है, जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और सत्ता परिवर्तन हुए हैं। दिल्ली की राजनीति में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। 1993 से लेकर 2024 तक दिल्ली में हुए कई विधानसभा चुनावों ने इस राजनीति को दिशा दी है।
1993 से 1998 तक भाजपा ने दिल्ली में शासन किया था। इस दौरान मदनलाल खुराना और साहिब सिंह जैसे नेताओं ने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटना सुषमा स्वराज का दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालना थी। सुषमा स्वराज का कार्यकाल न केवल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि उनके नेतृत्व में दिल्ली ने कई अहम फैसले किए।
उनकी नियुक्ति के बाद, दिल्ली की राजनीति में महिला नेतृत्व का एक नया अध्याय शुरू हुआ। सुषमा स्वराज के बाद, नेता प्रतिपक्ष का पद भी महत्वपूर्ण बना, लेकिन उस समय कोई महिला नेता प्रतिपक्ष नहीं बनी। तब कांग्रेस के नेता जगप्रवेश चंद्र ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्य किया।
1998 में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार बनाई। शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो कि दिल्ली की एक और महत्वपूर्ण महिला नेता थीं। शीला दीक्षित का शासन दिल्ली के विकास और विकास परियोजनाओं के लिए याद किया जाता है। उनका कार्यकाल 2013 तक चला, और उनके नेतृत्व में दिल्ली में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू हुईं, जिसमें मेट्रो का विस्तार, नई सड़कों का निर्माण, और पानी की आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाना शामिल था।
शीला दीक्षित के समय में दिल्ली में विपक्ष की भूमिका भाजपा ने निभाई, और भाजपा के नेताओं ने कई बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया। प्रो. जगदीश मुखी और प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा जैसे नेता प्रतिपक्ष बने और दिल्ली विधानसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2013 में आम आदमी पार्टी (आप) के गठन के बाद दिल्ली में एक नया राजनीतिक मोड़ आया। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। हालांकि, उनके पहले कार्यकाल में सरकार गिर गई, लेकिन 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में आप ने शानदार जीत हासिल की और अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद पर पुनः काबिज हुए। उनका कार्यकाल 2024 तक चला। इस दौरान आप ने कई नई योजनाएं शुरू की, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की आपूर्ति की दिशा में सुधार।
2013 में आम आदमी पार्टी ने आतिशी को शिक्षा मंत्री बनाया था, जो दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में कई बदलावों के लिए प्रसिद्ध हैं। 2024 में जब अरविंद केजरीवाल का तीसरा कार्यकाल समाप्त हुआ, तो आतिशी को मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किया गया।
दिल्ली विधानसभा के 2024 के चुनाव परिणामों में भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। रेखा गुप्ता का विधानसभा में यह पहला कार्यकाल है, और उनके चुनाव ने यह साबित कर दिया कि भाजपा महिलाओं को प्रमुख पदों पर नियुक्त करने के लिए तैयार है। रेखा गुप्ता को भाजपा ने इस पद के लिए चुना, जो एक ऐतिहासिक कदम है।
वहीं आम आदमी पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया। आतिशी की नियुक्ति ने दिल्ली विधानसभा में महिला नेताओं की भूमिका को और सशक्त किया। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि विधानसभा में विपक्ष का नेता एक महिला हो, लेकिन अब यह बदलाव देखने को मिल रहा है।
दिल्ली विधानसभा में महिलाओं की भूमिका को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में महिलाओं का स्थान अब मजबूत हो चुका है।
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