राजनीति में जहां एक ओर जन्मदिन जैसे अवसरों को सिर्फ रस्मअदायगी या राजनीतिक प्रचार का माध्यम माना जाता है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जन्मदिन पर यूथ कांग्रेस ने एक अलग ही पहल करके उदाहरण पेश किया है। यूथ कांग्रेस 19 जून को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक भव्य रोज़गार मेले का आयोजन करने जा रही है, जिसमें 100 से अधिक नामी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इस मेले का उद्देश्य देश के बेरोजगार युवाओं को ‘वॉक इन इंटरव्यू’ के माध्यम से सीधे रोजगार दिलवाना है।
कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी हमेशा से युवाओं को रोज़गार दिलाने और बेरोजगारी के मुद्दे को केंद्र में लाते रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी के जन्मदिन को केवल एक समारोह तक सीमित न रखते हुए उसे सामाजिक सरोकार में बदलना, पार्टी की सोच और युवाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह मेला न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के उन लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो वर्षों से रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं।
यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रोजगार मेले में 100 से अधिक कंपनियों के आने की पुष्टि हो चुकी है। इन कंपनियों में IT, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, एजुकेशन, फाइनेंस और लॉजिस्टिक्स जैसे कई क्षेत्रों की प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ‘क्षमता के अनुसार’ हर प्रयास किया जा रहा है कि अधिक से अधिक युवाओं को नौकरी का मौका मिले।
उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक 10,000 से अधिक युवाओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि 8 से 10 हजार युवाओं ने ऑफलाइन मोड से आवेदन किया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि बेरोजगारी किस हद तक युवाओं के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
इस मेले की खास बात यह है कि युवाओं को मौके पर ही इंटरव्यू का अवसर मिलेगा। यदि उम्मीदवार कंपनी के मानदंडों पर खरे उतरते हैं, तो वहीं पर उन्हें ऑफर लेटर भी सौंपा जाएगा। यह पारंपरिक नौकरी मेलों से अलग और अधिक प्रभावी पहल है, जिसमें युवाओं को बार-बार दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
चाहे कोई 12वीं पास हो या पीएचडी धारक, सभी के लिए रोजगार के अवसर होंगे। कंपनियां उनके स्किल सेट और योग्यता के अनुसार जॉब रोल निर्धारित करेंगी और उसी दिन प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
यूथ कांग्रेस इससे पहले भी राजस्थान में एक रोजगार मेला आयोजित कर चुकी है, जिसे काफी सराहना मिली थी। अब दिल्ली में आयोजित हो रहा यह मेला कांग्रेस पार्टी के उस वादे को फिर से पुष्ट करता है, जिसमें युवाओं को केंद्र में रखकर नीतियां बनाई जाती हैं। इस मेले के जरिए हजारों बेरोजगारों को न केवल नौकरी मिलेगी बल्कि उनका आत्मविश्वास भी लौटेगा।
रोजगार मेले की घोषणा करते हुए उदय भानु चिब ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन आज आंकड़े गवाह हैं कि देश में पिछले 40 से 50 वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा बेरोजगारी वर्तमान में है। उन्होंने कहा कि युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ किया गया और अब कांग्रेस उस भरोसे को दोबारा कायम करने का प्रयास कर रही है।
रजिस्ट्रेशन की संख्या और युवाओं की उत्सुकता यह दिखाती है कि युवा कांग्रेस की इस पहल को लेकर बेहद गंभीर और सकारात्मक हैं। पिछले वर्षों में जहां रोजगार मेले केवल औपचारिकता बनकर रह जाते थे, वहीं यह मेला अपने ठोस परिणामों की उम्मीद लेकर आ रहा है।
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, और राजस्थान से भी हजारों युवा इस रोजगार मेले में भाग लेने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। इससे यह साफ है कि कांग्रेस की यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर असर डाल सकती है।
यूथ कांग्रेस की इस पहल को केवल नौकरी देने के अवसर के रूप में न देखकर एक ‘सम्मान देने की कोशिश’ के रूप में भी देखा जा सकता है। बेरोजगारी केवल आर्थिक समस्या नहीं बल्कि मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक तनाव का कारण भी बन चुकी है। ऐसे में एक मंच पर कंपनियों को बुलाकर युवाओं को इंटरव्यू देना और तुरंत ऑफर लेटर सौंपना एक साहसिक और व्यावहारिक निर्णय है।
रोज़गार मेला चाहे किसी पार्टी द्वारा आयोजित किया जाए, लेकिन यदि उसका उद्देश्य रोज़गार देना है न कि केवल राजनीति, तो वह समाज के लिए सकारात्मक है। यूथ कांग्रेस की यह पहल राहुल गांधी के जन्मदिन को केवल एक ‘राजनीतिक दिन’ नहीं बल्कि ‘कार्य के दिन’ में बदल रही है। इस तरह के आयोजनों से युवाओं में यह संदेश जाता है कि राजनीति सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है बल्कि वह बदलाव और समाधान का माध्यम भी बन सकती है।
यूथ कांग्रेस ने संकेत दिया है कि 19 जून को केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के रोजगार मेलों, स्किल वर्कशॉप्स और संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। राहुल गांधी के जन्मदिन को ‘रोज़गार दिवस’ के रूप में मनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे हर युवा खुद को इस पहल का हिस्सा महसूस कर सके।
कई युवाओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकारों से अब उन्हें बड़ी-बड़ी घोषणाओं की नहीं बल्कि जमीनी अवसरों की उम्मीद है। सोनिया नगर से आई एक छात्रा, निधि मिश्रा कहती हैं, “अगर इस रोजगार मेले में मुझे नौकरी मिलती है तो मैं इसे राहुल गांधी का असली तोहफा मानूंगी।”
वहीं रोहित नाम का एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट कहता है, “मैं दो साल से नौकरी की तलाश में हूं। हर जगह सिर्फ रजिस्ट्रेशन फीस और वादे मिलते हैं। अगर यहां ऑफर लेटर मिलेगा तो यह मेरे करियर की नई शुरुआत होगी।”
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह रोजगार मेला राहुल गांधी की ‘युवा नेता’ वाली छवि को और मजबूत करता है। खासकर तब जब देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी बन चुकी हो, और युवा खुद को राजनीतिक विमर्श से कटे महसूस करते हों। यह मेला कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए एक अवसर भी है और चुनौती भी – क्योंकि युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना अब सिर्फ वादों से नहीं होगा, बल्कि ऐसे ठोस कार्यों से ही होगा।
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