जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना ने अब तक का सबसे बड़ा और संगठित अभियान शुरू किया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सेना की कार्रवाई और भी तेज हो गई है। इस हमले में हुए नुकसान के बाद सेना ने आतंकियों के खिलाफ बहुस्तरीय ऑपरेशन छेड़ दिया है, जिसमें अब तक 2 आतंकवादियों को मार गिराया गया है, जबकि 7 आतंकियों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया है।
सेना ने अब घाटी में सक्रिय लोकल आतंकियों की पूरी लिस्ट तैयार कर ली है। जानकारी के अनुसार, इस वक्त जम्मू-कश्मीर में कुल 14 स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं, जिनमें से कुछ जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े हुए हैं। इन आतंकियों की पहचान और ठिकानों की जानकारी मिलने के बाद सेना ने उन्हें खत्म करने के लिए विशेष योजनाएं तैयार की हैं। अब घाटी में आतंकियों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
सेना की लिस्ट के अनुसार, अवंतीपोरा में जैश का एक आतंकी, पुलवामा में लश्कर और जैश के दो-दो आतंकी, सोपोर में लश्कर का एक आतंकी, सोफियान में हिजबुल का एक और लश्कर के चार आतंकी, अनंतनाग में हिजबुल के दो और कुलगाम में लश्कर का एक आतंकी सक्रिय है। इन सभी आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और आने वाले दिनों में इनके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई तय मानी जा रही है।
सेना की कार्रवाई से आतंकियों में भारी दहशत है। हालात ये हैं कि ‘द कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट’ जैसे आतंकी संगठन ने भी पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। इससे यह साफ है कि सुरक्षा बलों की रणनीति और ऑपरेशन से आतंकी संगठन दबाव में हैं।
अब तक जिन आतंकियों के घरों को गिराया गया है उनमें शोपियां में शाहिद अहमद कुटी, पुलवामा में हारिस अहमद, त्राल में आसिफ शेख, अनंतनाग में आदिल ठोकेर, और कुलगाम में जाकिर अहमद गनई शामिल हैं। यह कार्रवाई न सिर्फ आतंकियों के मनोबल को तोड़ने की दिशा में है, बल्कि इससे स्थानीय स्तर पर आतंकवाद के प्रति डर और नफरत का माहौल भी मजबूत हुआ है।
सेना का यह स्पष्ट संदेश है कि जो भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होगा, उसे और उसके सहयोगियों को बख्शा नहीं जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों का तालमेल और स्थानीय लोगों का समर्थन इस अभियान को और अधिक प्रभावी बना रहा है।
घाटी में शांति बहाल करने के लिए यह अभियान निर्णायक साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में और भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तेज़ होगी। सेना की इस सक्रियता से यह तय है कि आतंकियों के लिए अब जम्मू-कश्मीर में कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बची है।
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