गोविंद डोटासरा का सरकार पर वार ,”सीकर को पानी नहीं, सिर्फ वादे मिले”
राजस्थान में इन दिनों गर्मी के साथ-साथ राजनीतिक पारा भी चढ़ा हुआ है। सीकर में शुक्रवार को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। डोटासरा ने खास तौर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पीएचईडी मंत्री और चूरू जिले के भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सीकर और आसपास के इलाकों को मिलने वाला पानी चूरू में रोक दिया जाता है, जिसकी वजह से लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, सुजानगढ़ और अन्य जगहों में पानी की भारी किल्लत हो रही है।
डोटासरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि लक्ष्मणगढ़ को जहां 74 एमएलडी पानी मिलना चाहिए था, वहां आज सिर्फ 4-5 एमएलडी पानी मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चूरू में पानी रोक दिया जाता है और वहां के हारे हुए नेता इसे जानबूझकर करवा रहे हैं। उन्होंने चीफ इंजीनियर का हवाला देते हुए बताया कि अधिकारी कहते हैं- “पहले चूरू को पानी मिलेगा, फिर सीकर को।” इस पर नाराजगी जताते हुए डोटासरा ने कहा कि, “मैंने पीएचईडी मंत्री से साफ कहा- हारे हुए लोगों की मान रहे हो, कभी जीते हुए लोगों की भी सुन लो। जो हमारा अधिकार है, वह हमें मिलना ही चाहिए।”
डोटासरा ने सरकार की योजनाओं की धीमी रफ्तार पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कुंभाराम परियोजना का काम आज तक अधूरा है और जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाने का काम भी ठप पड़ा है। “सड़कें फोड़ी जा रही हैं, पर पाइपलाइन नहीं बिछाई जा रही। खंडेला, श्रीमाधोपुर और दांतारामगढ़ जैसे इलाकों में हालात बहुत खराब हैं,” उन्होंने कहा। डोटासरा ने दावा किया कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब उन्होंने डायरेक्ट पाइपलाइन लाकर लोगों को राहत दी थी, लेकिन अब जनता त्राहिमाम कर रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तंज कसते हुए डोटासरा ने कहा, “मुख्यमंत्री रोज कहते हैं कि यमुना का पानी लाएंगे, लेकिन कब लाएंगे ये कोई नहीं जानता। मुझे तो उनकी आंखों में भी पानी नहीं दिख रहा।” उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के पास न तो बिजली की कोई ठोस व्यवस्था है, न ही पानी को लेकर कोई योजना। “ये तो पर्ची से बन गए हैं और पर्ची से ही आउट हो जाएंगे,” डोटासरा ने तीखी टिप्पणी की।
डोटासरा ने पेपर लीक मामले में भी राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने पूछा कि जब भाजपा विपक्ष में रहते हुए सीबीआई जांच की मांग करती थी, तो अब सत्ता में आकर वह जांच क्यों नहीं करवा रही? “एसआई भर्ती का डेढ़ साल हो गया, न तो निरस्त कर रहे हैं और न ही दोबारा प्रक्रिया शुरू कर रहे,” उन्होंने कहा।
डोटासरा ने शिक्षा विभाग की दुर्दशा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य में सवा लाख शिक्षकों के पद खाली हैं, लेकिन सरकार की प्राथमिकता गौमाता पालने और मां के नाम पेड़ लगाने तक सीमित है। “जब मैं शिक्षा मंत्री था, उसके बाद से 20 लाख नामांकन स्कूलों से कम हो गए हैं। अब जब मंत्री से पूछो तो कहते हैं, नामांकन तो कम होते ही रहते हैं।”
सीकर में आयोजित यह समीक्षा बैठक एक बार फिर यह साबित कर गई कि राजस्थान में राजनीतिक घमासान अपने चरम पर है। डोटासरा ने पानी, रोजगार, शिक्षा और सरकारी योजनाओं की बदहाली के मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार को पूरी तरह से घेरा। अब देखना होगा कि सरकार इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या वाकई लोगों को राहत मिलती है या नहीं।
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