हरियाणा के करनाल जिले के कुंजपुरा गांव के 27 वर्षीय युवक मनीष की अमेरिका में अचानक मौत हो गई। यह घटना उनके परिवार के लिए एक भारी दुख और सदमे का कारण बन गई है। मनीष की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई, और यह घटना उस समय हुई जब वह अमेरिका में एक साल और तीन महीने से रह रहा था। मनीष के परिवार ने उसे बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका भेजने का फैसला किया था और इसके लिए उन्होंने 38 लाख रुपये का भारी कर्ज लिया था।

मनीष की अमेरिका यात्रा

मनीष के परिवार के लिए यह कदम उनके बेटे को एक बेहतर जीवन देने की उम्मीद के साथ उठाया गया था। मनीष के बड़े भाई कर्णदीप ने बताया कि एक साल तीन महीने पहले मनीष को अमेरिका भेजा गया था, ताकि वह वहां काम कर सके और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार सके। अमेरिका में मनीष न्यूयॉर्क के एक किराए के कमरे में रहता था और वह एक स्टोर पर काम करता था। मनीष के पास टैक्सी चलाने की योजना थी, ताकि वह ज्यादा पैसे कमा सके और परिवार की मदद कर सके।

परिवार ने उसे विदेश भेजने के लिए 38 लाख रुपये का कर्ज लिया था, जो एक बहुत बड़ी राशि थी। यह कर्ज परिवार के लिए एक बड़ा आर्थिक दबाव था, लेकिन यह उम्मीद की जा रही थी कि मनीष काम करके धीरे-धीरे इसे चुका सकेगा। हालांकि, मनीष का जीवन इतना छोटा था कि वह इस कर्ज को चुकाने के पहले ही दुनिया को अलविदा कह गया।

मौत की घटना

मनीष के साथ अमेरिका में रहने वाले उसके दोस्तों ने बताया कि बीती रात को खाना खाने के बाद उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी। वह सांस लेने में दिक्कत महसूस करने लगा। उसके दोस्तों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि मनीष की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। यह खबर मनीष के परिवार के लिए एक गहरे सदमे के रूप में आई, और उन्हें इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ कि उनका बेटा अब उनके बीच नहीं है।

मनीष के परिवार में दो बहनें और एक बड़ा भाई कर्णदीप हैं। मनीष की दो बहनें उसके बिना अपने जीवन के बारे में सोच भी नहीं पा रही हैं। वे अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं व्यक्त कर पा रही हैं। परिवार के सदस्य मनीष की मौत से इतने टूट गए हैं कि वे अपने आंसू भी नहीं रोक पा रहे हैं। मनीष के पिता और मां का हाल भी बहुत बुरा है, वे अपने बेटे की मौत के सदमे में हैं।

परिवार की अपील

मनीष के परिवार ने इस दुखद घटना के बाद सीएम से अपील की है कि उनके बेटे के शव को जल्द से जल्द भारत भेजा जाए। परिवार को इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक समर्थन की आवश्यकता है। कर्णदीप ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनके पास शव को भारत लाने के लिए संसाधन नहीं हैं और उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। परिवार की स्थिति बहुत ही कठिन है, क्योंकि कर्ज का भुगतान करना और शव को भारत लाने के लिए जरूरी खर्चे भी उठाना उनके लिए असंभव सा हो गया है।

मनीष का सपना और परिवार की तकलीफ

मनीष ने अपनी कठिनाइयों को दरकिनार करते हुए अमेरिका जाने का फैसला किया था, ताकि वह अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन की संभावनाएं खोल सके। परिवार ने उसे विदेश भेजने के लिए जो कर्ज लिया था, वह एक बड़ी वित्तीय चुनौती था, लेकिन परिवार ने सोचा था कि मनीष जल्द ही इस कर्ज को चुका पाएगा। अब मनीष की असामयिक मृत्यु ने परिवार को न केवल भावनात्मक रूप से तोड़ा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी गंभीर संकट में डाल दी है।

मनीष का सपना था कि वह टैक्सी चलाकर अधिक पैसे कमा सके और अपने परिवार की मदद कर सके, लेकिन उसकी आकस्मिक मृत्यु ने उसके सारे सपनों को चूर-चूर कर दिया। उसकी मौत के बाद परिवार को न केवल उसके बिना जीने की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनके पास यह कर्ज चुकाने के लिए कोई रास्ता नहीं है।

विदेश में भारतीय कामकाजी लोगों की स्थिति

यह घटना सिर्फ मनीष के परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशों में काम करने वाले भारतीय प्रवासी मजदूरों के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। पिछले कुछ वर्षों में, खासकर युवा लोग भारत में अपनी मुश्किलों को हल करने के लिए विदेशों में काम करने की कोशिश करते हैं। कई परिवार अपने बच्चों को बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए भारी कर्ज लेते हैं और उन्हें विदेश भेजते हैं।

लेकिन इस प्रक्रिया में कई तरह के खतरे और जोखिम होते हैं। कभी-कभी, विदेशों में अचानक स्वास्थ्य समस्याएं या दुर्घटनाएं आ जाती हैं, जो जीवन को खतरे में डाल सकती हैं। मनीष की मौत ऐसे ही एक हादसे का उदाहरण बन गई है।

इस मामले में, मनीष के परिवार को न केवल भावनात्मक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है, बल्कि कर्ज चुकाने और शव को भारत लाने के खर्चे भी उनके लिए एक और बड़ी चुनौती बन गए हैं।

मुख्यमंत्री से मदद की गुहार

मनीष के परिवार ने अब हरियाणा के मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि मनीष के शव को जल्द से जल्द भारत लाने में मदद की जाए, ताकि वे अपने बेटे का अंतिम संस्कार भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार कर सकें। इस दर्दनाक समय में सरकार से कुछ मदद मिलने से परिवार को राहत मिल सकती है, हालांकि यह मदद तत्काल चाहिए।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *