उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में रविवार को एक हृदयविदारक हादसा हुआ जिसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। गोविंद नगर क्षेत्र के शाहगंज दरवाजा इलाके में स्थित एक पुराना टीला अचानक खिसक गया, जिससे इसके आसपास बने तीन मकान देखते ही देखते मलबे में तब्दील हो गए। इस घटना में कई लोग मलबे के नीचे दब गए, जिनमें मासूम बच्चे, बुजुर्ग और मजदूर शामिल हैं। प्रशासन ने तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन घटनास्थल से जो दृश्य सामने आ रहे हैं, वे बेहद भयावह हैं।
घटना रविवार सुबह की है, जब अधिकांश लोग अपने दैनिक कार्यों की शुरुआत कर रहे थे। सिद्ध बाबा मंदिर के पास स्थित यह टीला वर्षों पुराना था और उसके आसपास बसे लोग वर्षों से इसे लेकर चिंतित भी थे। लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह टीला एक दिन मौत का पहाड़ बन जाएगा। सुबह लगभग 9 बजे जब इलाके में हलचल शुरू हो रही थी, तभी अचानक यह टीला दरकने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते, देखते ही देखते तीन मकान उसके मलबे में समा गए।
चीख-पुकार से गूंज उठा इलाका, मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी
घटना के तुरंत बाद पूरे इलाके में चीख-पुकार मच गई। घटनास्थल पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग मदद के लिए चिल्लाने लगे और अपने प्रियजनों की तलाश में इधर-उधर भागने लगे। कुछ लोग जो हादसे के वक्त घरों में मौजूद थे, वे तो बाहर निकलने का मौका नहीं पा सके। बताया जा रहा है कि इस हादसे में एक दर्जन से अधिक लोग मलबे में दबे हो सकते हैं, जिनमें से कुछ बच्चे भी शामिल हैं।
स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी और कुछ ही समय में जिला प्रशासन, नगर निगम की टीमें और एनडीआरएफ के सदस्य मौके पर पहुंच गए। बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। जेसीबी और क्रेनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है। अब तक एक युवक को मलबे से निकाल लिया गया है, जिसे गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शी लेखपाल की आपबीती: ‘मैंने अपनी आंखों से देखा टीला गिरते हुए’
घटनास्थल के पास रहने वाले लेखपाल संजय रोहिला उस वक्त अपने परिवार के साथ बाहर निकलने ही वाले थे। उन्होंने बताया कि वह बाइक से गैराज की ओर जा रहे थे, साथ में उनकी पत्नी और बेटा भी थे। तभी अचानक टीला खिसकने लगा। संजय ने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों से टीला दरकते और उसके साथ मकानों को गिरते हुए देखा। उन्होंने तुरंत बाइक वहीं छोड़ी और अपने परिवार को लेकर वहां से भागे।
संजय ने बताया कि इसी दौरान दो मासूम बच्चे टीले के ऊपर से मलबे के साथ नीचे गिरते नजर आए। उनके सामने ही कुछ मजदूर भी मलबे में समा गए। इस हादसे की भयावहता को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। संजय खुद भी मलबे की चपेट में आ गए और उन्हें हल्की चोटें आई हैं, लेकिन उन्होंने राहत की सांस ली कि उनका परिवार सुरक्षित है।
स्थानीय प्रशासन की तत्परता: जेसीबी, मेडिकल टीम और पुलिस जुटी बचाव में
जैसे ही इस भयंकर हादसे की सूचना जिला प्रशासन को मिली, तुरंत पुलिस, फायर ब्रिगेड, चिकित्सा टीमें और जेसीबी मशीनें मौके पर रवाना की गईं। कुछ ही देर में पूरा घटनास्थल बचाव दल की गतिविधियों से सक्रिय हो गया। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, मलबे में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
ड्रोन कैमरों की मदद से भी मलबे की गहराई और दबे हुए लोगों की स्थिति को जानने की कोशिश की जा रही है। पास के इलाकों में मेडिकल कैम्प लगाए गए हैं ताकि घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार मिल सके। एसडीएम, तहसीलदार, और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी लगातार मौके पर डटे हुए हैं।
क्या था हादसे की जड़ में? पुराना टीला बना कारण या प्रशासन की लापरवाही?
घटना के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर यह हादसा हुआ क्यों? जिस टीले के खिसकने से यह भयावह मंजर पैदा हुआ, वह सालों से वहां था। स्थानीय लोग लगातार शिकायत करते रहे थे कि टीले के आसपास निर्माण कार्य और नमी के कारण उसकी नींव कमजोर हो रही है। बावजूद इसके न तो प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया और न ही स्थानीय निकायों ने कोई चेतावनी जारी की।
जानकारी के मुताबिक, टीले के आसपास कुछ मकानों का निर्माण हाल ही में हुआ था और पास ही में एक निर्माणाधीन दीवार पर मजदूर काम कर रहे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि टीले की मिट्टी पहले से ही कमजोर थी और लगातार हो रही नमी व खुदाई के कारण वह अस्थिर हो गया। प्रशासन ने अब जांच के आदेश दे दिए हैं और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हादसे की मूल वजह क्या थी।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, अस्पतालों में उमड़ी भीड़
हादसे के बाद जो दृश्य सामने आए, वे बेहद मार्मिक थे। मलबे में दबे लोगों के परिजन घटनास्थल पर पहुंचकर रो-रोकर बुरा हाल कर रहे थे। कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदारों को खुद मलबे से निकालने की कोशिश की, लेकिन मलबे का ढेर इतना विशाल था कि बिना मशीनों के वहां तक पहुंच पाना असंभव था।
अस्पताल में भी पीड़ितों के परिजनों की भीड़ उमड़ पड़ी है। डॉक्टरों की टीम लगातार स्थिति को संभालने में जुटी हुई है। प्रशासन ने जिले के सभी अस्पतालों को अलर्ट मोड में डाल दिया है ताकि जरूरत पड़ने पर घायल लोगों को तत्काल उपचार मिल सके।
नेताओं और अधिकारियों की मौके पर मौजूदगी, मुआवजे का एलान संभव
घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर कई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी घटना की रिपोर्ट मांगी है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि मलबे में दबे लोगों को तुरंत निकाला जाए और घायलों का समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाए।
संभावना जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही इस हादसे में मारे गए अथवा घायल लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा कर सकती है। स्थानीय विधायक और मंत्री भी घटनास्थल पर पहुंचने की तैयारी में हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश: ‘पहले चेतावनी दी थी, लेकिन किसी ने सुनी नहीं’
घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति नाराजगी साफ नजर आ रही है। लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले ही इस टीले की जर्जर स्थिति को लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन को चेताया था, लेकिन किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। एक निवासी ने बताया, “हमने कई बार नगर निगम से कहा कि टीले पर मिट्टी खिसक रही है, लेकिन कभी कोई इंजीनियर जांच करने नहीं आया। आज उसका नतीजा सबके सामने है।”