पहलगाम हमले को लेकर एक तरफ जहां पूरे देश एक सुर में बदले की मांग कर रहा है तो दूसरी तरफ कुछ बुद्धिजीव हमारे देश में ऐसे है जिन्होंने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी और सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश की याचिकाकर्ता ने हमले की जांच के साथ साथ केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर डाली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरल और आसान भाषा में फटकार लगाई और याचिकाकर्ता को कहा कि- सुप्रीम कोर्ट के जज आतंकी मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं हैं, इस महत्वपूर्ण समय में देश के हर नागरिक ने आतंकवाद आवाज उठाई है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या वे सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं, साथ ही कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि. ऐसे मुद्दों को न्यायिक क्षेत्रों में लेकर नहीं आना चाहिए…
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसों की पीठ ने पहलगाम हमले की जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को जमकर फटकार लगाई, कोर्ट ने याचिकाकर्ता फतेह कुमार साहू और अन्य को जनहित याचिका वापस लेने के लिए साथ साथ कहा कि वे इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझें और अदालत में ऐसी कोई अपील न करें
हालांकि पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने हमारे 25 से ज्यादा टूरिस्टों को मौत के घाट उतारा दिया था आतंक वादियों ने तबाड़तोड़ गालियां चलाई धर्म पूछा फिर मौत के घाट उतारा लेकिन इस हमले के बाद जब पूरे देश में आक्रोश है तो
फतेह कुमार साहू जैसे लोग सेना की कार्यवाही पर सवाल उठाते है और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देते है हालांकि कोर्ट ने खूब फटकार लगाई और कहा कि आगे से इसी कोई याचिका दाखिल ना करे हालांकि पीएम मोदी लगातार सेना अध्यक्षों के साथ बैठक कर चुके है NSA डोभाल लगातार पल पल का अपडेट पीएम मोदी को दे रहे है.. और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी में है सोर्स के हवाले से खबर थी,, पीएम मोदी ने सेना को फ्री हैड कर दिया है और पहलगाम हमले के बाद से बोल सकेत है घाटी में सेना लगातार ऑपरेशन कर रही है और अब तक आतंकवादियों का साथ देने वाले जम्मू-कश्मीर के कुछ युवकों की पहचान हुई है जिनके घरों पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उसे तोड़ा गया है हालांकि केंद्र सरकार पाकिस्तान पर कई कड़े प्रतिबंध लगा चुकी है.. आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को कई झटके लग चुके है. लेकिन देश की जनता के मन में अब भी यही सवाल है.. हमले को 8 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है आतंकी बॉर्डर क्रॉस नहीं करे है.. लेकिन कहां है.. किसने उन्हे छिपाया हुआ है.. जब ऐसी खबरे बाहर आती है तो फिर से कश्मीरियत पर सवाल उठाने लगते है क्योंकि ये सच्चाई है बैसरन में लोगों को बचाने में घोड़े वाले.. फोटोग्राफ.. और लोकल दुकानदारों का हाथ रहा है लेकिन ये भी एक सच्चाई है.. जिन आतंकवादियों ने गोलियां चलाई, उनका साथ 2 लोकल कश्मीर लड़कों ने दिया है.. और अब जब सेना उन आतंक वादियों की तलाश कर रही है.. इसी पहलगाम.. और त्राल के इलाकों में इन गद्दारों के छिपे होने की खबर है…. ।