BANGAL HINSA : पहलगाम आतंकी हमले जैसी मुर्शिदाबाद हिंसा-BJP
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसात्मक घटनाओं पर देशभर में राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने इस घटना को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट की निगरानी में गठित विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता को पूरी तरह उजागर कर दिया है।त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में 11 अप्रैल 2025 को हुई हिंसा योजनाबद्ध थी और इसका नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस से जुड़े स्थानीय नेता महबूब आलम ने किया। SIT की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस हमले में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
“हिंदू विरोध की पराकाष्ठा है यह घटना”
त्रिवेदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अगर किसी मुद्दे पर असहमति है, तो उसके लिए निर्दोष हिंदुओं पर हिंसा करने की क्या जरूरत है? यह केवल राजनीतिक प्रतिशोध नहीं, बल्कि धार्मिक विद्वेष का संकेत है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि तृणमूल कांग्रेस का सेक्युलरिज्म का मुखौटा अब उतर चुका है।उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय SIT में एक मानवाधिकार विशेषज्ञ और दो न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारी शामिल थे। इस समिति ने स्पष्ट किया है कि हिंसा पूर्वनियोजित थी और पुलिस प्रशासन ने जानबूझकर आंखें मूंदी रखीं।
हरगोबिंद दास और चंदन दास की हत्या पर मौन क्यों?
त्रिवेदी ने उन लोगों की आलोचना की जो पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं लेकिन अपने ही देश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही क्रूरता पर चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने कहा, “मुर्शिदाबाद में हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की क्रूर हत्या कर दी गई, लेकिन विपक्षी दलों और सेक्युलरिज्म का दावा करने वाले लोगों ने एक शब्द भी नहीं बोला। ये वही लोग हैं जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के लिए नरमी दिखाते हैं।”
मुर्शिदाबाद में हुआ “पहलगाम” जैसा मंजर
डॉ. त्रिवेदी ने घटना की तुलना जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमलों से की और कहा कि “यह घटना किसी एक जिले की नहीं, बल्कि पूरे देश के सामाजिक ढांचे पर हमला है।”
SIT की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा मुख्य रूप से 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद शुरू हुई, जब स्थानीय पार्षद महबूब आलम अपने समर्थकों के साथ समसेरगंज, हिजालतला, शिउलिताला और डिगरी क्षेत्रों में उपद्रव मचाने पहुंचा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलावरों ने चेहरा ढका हुआ था और वे सुनियोजित ढंग से दुकानों, घरों और मॉलों में आगजनी व लूटपाट करते गए।
पुलिस प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जब स्थानीय लोगों ने सहायता के लिए पुलिस को बुलाया, तो कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस की निष्क्रियता से साफ है कि यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ दल की शह पर हुआ हमला था। त्रिवेदी ने कहा, “जब जनता की रक्षा करने वाली संस्थाएं ही मौन हो जाएं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।”
तृणमूल कांग्रेस और “सो कॉल्ड सेक्युलरिज्म” पर निशाना
भाजपा प्रवक्ता ने इस मौके पर तथाकथित सेक्युलरिज्म के पैरोकारों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि यह वही वर्ग है जो हिंदू धार्मिक मुद्दों पर टिप्पणी करता है लेकिन हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर आंख मूंद लेता है।
त्रिवेदी ने देश की जनता से अपील की कि वे इस रिपोर्ट को गंभीरता से लें और समझें कि “यह केवल बंगाल की राजनीति नहीं, बल्कि पूरे भारत की आंतरिक एकता के खिलाफ एक सुनियोजित हमला है।”
SIT की रिपोर्ट और भाजपा के आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा केवल एक स्थानीय घटना नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक ध्रुवीकरण करना था। तृणमूल कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है, वहीं भाजपा इस मुद्दे को आगामी चुनावों में प्रमुख हथियार बना सकती है।
हिंदू विरोध और प्रशासन की निष्क्रियता जैसे गंभीर आरोपों के बीच अब देश की जनता को तय करना है कि वह किन ताकतों के साथ खड़ी होती है – जो चुपचाप तमाशा देखती हैं, या जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती हैं।
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