महाराष्ट्र के पुणे जिले में रविवार को एक बड़ा और दर्दनाक हादसा सामने आया, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पुणे के मावल तालुका के कुंदामाला गांव के पास इंद्रायणी नदी पर बना लोहे का एक पुल अचानक ढह गया, जिससे दो लोगों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हो गए। इस हादसे ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य सरकार को भी तुरंत हरकत में ला दिया। घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी है और प्रशासन ने इसे गंभीर आपदा मानते हुए राहत कार्यों को युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है।
यह हादसा रविवार दोपहर करीब 2 बजे हुआ जब बड़ी संख्या में लोग नदी के किनारे पिकनिक मना रहे थे। इंद्रायणी नदी पर बना यह पुल दो हिस्सों में बंटा था – एक हिस्सा सीमेंट से बना था और दूसरा हिस्सा लोहे का। वही लोहे का हिस्सा अचानक भारी दबाव और जंग के चलते टूटकर नदी में समा गया।
बताया जा रहा है कि उस समय पुल पर दर्जनों लोग मौजूद थे, जो या तो नदी के दूसरी ओर जाने की कोशिश कर रहे थे या वहीं खड़े होकर मनोरंजन कर रहे थे। अचानक हुए इस हादसे ने वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मचा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुछ ही सेकंड में पूरा लोहे का स्ट्रक्चर नदी में समा गया और कई लोग उसमें गिर पड़े।
मृतकों और घायलों की स्थिति
इस हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान फिलहाल नहीं हो पाई है, लेकिन प्रशासन ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं 32 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है। इन सभी को पिंपरी-चिंचवड़ के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
राहत की बात यह है कि अब तक छह लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। रेस्क्यू टीम ने बताया कि करीब 20 से 25 लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है, जिनकी तलाश जारी है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“पुणे जिले के इंदौरी में तलेगांव के पास इंद्रायणी नदी पर बने पुल के ढहने से हुए हादसे की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई है। मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम उनके परिवारों के दुख में शामिल हैं।”
सीएम फडणवीस ने आगे कहा कि वह संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और संबंधित तहसीलदार के निरंतर संपर्क में हैं। साथ ही, उन्होंने सभी राहत एजेंसियों को अलर्ट मोड पर रहने और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
NDRF और रेस्क्यू टीम की तैनाती
हादसे के बाद तुरंत ही NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को घटनास्थल पर भेजा गया। टीम के सदस्यों ने बिना देर किए राहत और बचाव कार्य शुरू किया। उनके साथ-साथ स्थानीय प्रशासन, अग्निशमन विभाग, मेडिकल टीम और पुलिस बल भी मौके पर मौजूद हैं।
एक रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल सदस्य ने बताया,
“हमें नहीं पता कि सटीक कितने लोग मलबे में फंसे हैं, लेकिन अनुमान है कि करीब 20-25 लोग अभी भी लापता हैं। हमने कुछ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है और तलाश जारी है।”
हादसे के कारण और पृष्ठभूमि
स्थानीय प्रशासन और तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार पुल के लोहे वाले हिस्से में जंग लग चुकी थी। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में भारी बारिश हो रही थी, जिससे पुल की नींव कमजोर हो गई थी। ऐसे में जब रविवार को भीड़ अधिक थी और पुल पर दबाव बढ़ा, तो उसका लोहे का हिस्सा टूट गया।
इस पुल का निर्माण कई दशक पहले हुआ था और लंबे समय से इसकी मरम्मत नहीं की गई थी। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन को कई बार चेताया गया था कि यह पुल जर्जर हालत में है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोगों का आक्रोश
हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश देखा गया। लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ। कई ग्रामीणों ने मौके पर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की और तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“यह हादसा नहीं, हत्या है। अगर समय पर इस पुल की मरम्मत की जाती तो आज ये हालात नहीं होते। हर रविवार को यहां भीड़ रहती है, फिर भी कोई चेतावनी बोर्ड या सुरक्षा इंतजाम नहीं थे।”
जांच के आदेश और आगे की कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही, पुल निर्माण और रख-रखाव में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी कही है।
संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर को मौके पर भेजा गया है और वे राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। प्रशासन ने मृतकों के परिवार को मुआवजा देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है।
पुल ढहने जैसी घटनाएं – सिस्टम की विफलता का प्रतीक
भारत में पिछले कुछ वर्षों में पुल ढहने की कई घटनाएं सामने आई हैं – कोलकाता, बिहार, गुजरात, और अब महाराष्ट्र। हर बार जांच होती है, रिपोर्टें आती हैं, लेकिन सुधारात्मक कदम न के बराबर उठाए जाते हैं।
यह घटना एक बार फिर हमारी सरकारी व्यवस्था, ढांचागत निगरानी और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाती है।