मध्य प्रदेश में मंत्री के बाद अब डिप्टी सीएम देवड़ा के बयान पर विवाद

मध्य प्रदेश में एक बार फिर राजनीतिक बयानबाजी को लेकर विवाद गहरा गया है। इस बार प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के बयान ने सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है। देवड़ा ने हाल ही में जबलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि “देश की सेना और सैनिक उनके चरणों में नतमस्तक हैं, पूरा देश उनके चरणों में नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है, उसकी जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है।” इस बयान में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए यह टिप्पणी की थी, लेकिन शब्दों के चयन और वाक्य की संरचना को लेकर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे देश की सेना का अपमान करार दिया है।

यह विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब राज्य सरकार के एक अन्य मंत्री विजय शाह के बयान को लेकर पहले ही विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर बनी हुई थी। विजय शाह ने सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने उनके धर्म को लेकर बयानबाजी की थी। अब, डिप्टी सीएम देवड़ा के बयान ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है।

डिप्टी सीएम देवड़ा का बयान उस संदर्भ में था जब वे पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना कर रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि “सेना ने जो जवाब दिया है, वह देश के लिए गर्व की बात है और इस पर हम सभी नतमस्तक हैं।” लेकिन उनका यह कहना कि “सेना और सैनिक उनके चरणों में नतमस्तक हैं” – ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया।

मध्य प्रदेश में मंत्री के बाद अब डिप्टी सीएम देवड़ा के बयान पर विवाद

कांग्रेस ने इस बयान को सेना का सीधा अपमान बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता अपनी प्रशंसा में इतने अंधे हो गए हैं कि वे सेना जैसे प्रतिष्ठित और सम्मानित संस्थान को भी राजनीतिक भक्ति की जद में ले आए हैं। कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह बयान दर्शाता है कि भाजपा के नेताओं के लिए देश की सुरक्षा में लगे जवानों की गरिमा से अधिक पार्टी नेतृत्व की महिमा अधिक मायने रखती है।

वहीं भाजपा की ओर से सफाई दी गई है कि डिप्टी सीएम देवड़ा का आशय गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि देवड़ा केवल प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुई सेना की कार्रवाई की सराहना कर रहे थे। उनका तात्पर्य यह था कि पूरा देश और सेना, प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों के प्रति सम्मान जताते हैं। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री के फैसलों की ताकत और साहसिक नेतृत्व की सराहना बताया।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या नेताओं को सार्वजनिक मंच से बोलते समय अधिक संयम और जिम्मेदारी नहीं बरतनी चाहिए? जब देश की सेना की बात हो रही हो, तब हर शब्द का मोल कई गुना बढ़ जाता है। भारत में सेना एक सम्मानित और संवेदनशील संस्था मानी जाती है, और उसे राजनीतिक विमर्श में सावधानीपूर्वक शामिल किया जाना चाहिए।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में आम चुनावों की तैयारी चल रही है और हर राजनीतिक दल अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा है। ऐसे में नेता कई बार अतिउत्साह में ऐसे बयान दे बैठते हैं जो बाद में विवाद का कारण बनते हैं। लेकिन सेना को लेकर इस प्रकार के बयान न सिर्फ विपक्ष को मौका देते हैं, बल्कि जनता में भी गलत संदेश पहुंचाते हैं।

कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन की चेतावनी दी है। पार्टी की राज्य इकाई ने चुनाव आयोग और राज्यपाल को शिकायत भेजने की बात कही है। कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि डिप्टी सीएम देवड़ा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और अपने बयान को स्पष्ट करना चाहिए।

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