हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से स्थगित संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर अब हलचल तेज हो गई है। प्रदेश कांग्रेस में नए अध्यक्ष और संगठन के पुनर्गठन को लेकर 31 मई को शिमला में एक अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं और फ्रंटल संगठनों के प्रमुखों से मुलाकात करेंगी। इस बैठक को प्रदेश कांग्रेस के भविष्य के लिए निर्णायक माना जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस में पिछले सात महीनों से राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणियां भंग पड़ी हैं। इस वजह से संगठन की कार्यप्रणाली पूरी तरह प्रभावित रही है। कई मंत्री तक इस निष्क्रियता को लेकर खुलेआम असंतोष जता चुके हैं। वर्तमान में प्रतिभा सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अकेली पदाधिकारी हैं, लेकिन उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में उन्हें हटाने की चर्चाएं भी तेज हैं।
कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर छह नामों पर चर्चा चल रही है।
- मुकेश अग्निहोत्री: पांच बार विधायक रह चुके मुकेश अग्निहोत्री कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में गिने जाते हैं।
- अनिरुद्ध सिंह: कसुम्पटी से तीसरी बार विधायक बने अनिरुद्ध सिंह मौजूदा सरकार में मंत्री हैं और मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाते हैं।
- कुलदीप राठौर: ठियोग से विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद माने जा रहे हैं।
- संजय अवस्थी: अर्की से तीसरी बार विधायक बने संजय अवस्थी भी अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में हैं।
- विनोद सुल्तानपुरी: पहली बार विधायक बने युवा नेता विनोद सुल्तानपुरी का नाम भी चर्चा में है। वे संगठन और युवा कांग्रेस में पहले काम कर चुके हैं
- सुरेश कुमार: भोरंज से पहली बार विधायक बने सुरेश कुमार को एससी समुदाय से आते हैं और मुख्यमंत्री सुक्खू के करीबी माने जाते हैं।
इस बैठक से पहले सह प्रभारी विदित चौधरी लगातार शिमला जिला के विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं से फीडबैक ले रहे हैं। वे 22 मई से शिमला में विभिन्न दौरे कर चुके हैं। अब 31 मई को शिमला के पीटरहॉफ में सभी वरिष्ठ नेताओं से रजनी पाटिल वन-टू-वन चर्चा करेंगी ताकि नए अध्यक्ष पर आम सहमति बनाई जा सके।
हाईकमान करेगा प्रदेश अध्यक्ष का चयन
प्रदेश अध्यक्ष का चयन पूरी तरह से कांग्रेस हाईकमान के हाथ में होगा। बैठक का मकसद संभावित नामों पर एक राय बनाना है ताकि आगे संगठन को फिर से सक्रिय किया जा सके। यह भी तय किया गया है कि बैठक के तुरंत बाद जल्द ही प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर नई कार्यकारिणियों का गठन किया जाएगा। प्रदेश में वर्तमान कांग्रेस सरकार के भीतर गुटबाजी के कारण संगठनात्मक सुस्ती देखी जा रही है। इस नई नियुक्ति से कांग्रेस एकजुट होकर संगठन को फिर से खड़ा करना चाहती है। देखना होगा कि हाईकमान किस चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपता है और वह किस हद तक बिखरे हुए संगठन को एकजुट कर पाने में सफल होता है।