देश में एक और देशद्रोही को पुलिस ने पकड़ा है।हरियाणा के नूंह जिले से एक और बड़ी और चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसने देश की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। यहां तावडू उपमंडल के गांव कांगरका से एक व्यक्ति मोहम्मद तारीफ को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है, जिस पर आरोप है कि वह पाकिस्तान को भारत की सैन्य गतिविधियों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां भेज रहा था। यह गिरफ्तारी दो दिन पहले इसी जिले के राजाका गांव से पकड़े गए अरमान नामक व्यक्ति के बाद हुई है। दोनों गिरफ्तारियां न केवल क्षेत्र में फैले संभावित जासूसी नेटवर्क की ओर इशारा करती हैं, बल्कि इस बात को भी उजागर करती हैं कि कैसे भारत के संवेदनशील इलाकों में छिपे देशद्रोही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में जुटे हैं।
हरियाणा पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों की एक संयुक्त कार्रवाई में यह गिरफ्तारी अंजाम दी गई। चंडीगढ़ स्थित विशेष पुलिस बल और तावडू सीआईए के साथ सदर थाना पुलिस ने रविवार देर शाम गांव बावला के समीप स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन के पास से मोहम्मद तारीफ को हिरासत में लिया। पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची, तो तारीफ ने तत्काल अपने मोबाइल से कुछ चैट्स डिलीट करने की कोशिश की, जिससे उसकी गतिविधियों पर पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों की निगाह होने का स्पष्ट संकेत मिला।
पुलिस ने जब तारीफ के मोबाइल की जांच की, तो उसमें पाकिस्तानी नंबरों से की गई चैटिंग, वीडियो, फोटो और सैन्य गतिविधियों से संबंधित कई संवेदनशील फोटोज व डेटा बरामद हुए। ये जानकारियां व्हाट्सएप के जरिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत दो कर्मचारियों – आसिफ बलोच और जाफर – को भेजी गई थीं। जांच में यह भी सामने आया कि तारीफ दो अलग-अलग सिम कार्ड्स का इस्तेमाल करता था और लगातार पाकिस्तानी संपर्कों से संवाद में था।
पूछताछ में तारीफ ने स्वीकार किया कि उसने पाकिस्तानी अधिकारी आसिफ बलोच को सैन्य गतिविधियों की गुप्त जानकारी भेजी और इसके बदले में उसे समय-समय पर पैसे भी मिले। बाद में जब आसिफ का दिल्ली से तबादला हो गया, तब तारीफ की मुलाकात दूसरे पाकिस्तानी अधिकारी जाफर से हुई। उसने उसी तरह से जाफर को भी भारत की सैन्य तैयारियों और गतिविधियों की जानकारियां उपलब्ध कराईं। यह एक सुदृढ़ नेटवर्क को इंगित करता है जो पाकिस्तानी उच्चायोग के माध्यम से भारत में खुफिया जानकारी प्राप्त करने के लिए कार्यरत है।
इस पूरे मामले में पुलिस ने मोहम्मद तारीफ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 और देशद्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। उसके खिलाफ केस दर्ज करने के साथ ही पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात आसिफ बलोच और जाफर के विरुद्ध भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, तारीफ लंबे समय से संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त था। वह लोगों से पाकिस्तान का वीजा लगवाने की बात करता था और अपनी पहचान छुपाते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से संपर्क में था। उसी दौरान सुरक्षा एजेंसियों को गुप्त सूचना मिली कि वह सेना से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान भेज रहा है। सूचना की पुष्टि के बाद ही उसे हिरासत में लिया गया।
दो दिनों में नूंह जिले से दो अलग-अलग जासूसों की गिरफ्तारी ने इस क्षेत्र में एक संगठित पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क की आशंका को बल दिया है। राजाका गांव से गिरफ्तार अरमान और कांगरका निवासी तारीफ दोनों ही सीमावर्ती क्षेत्रों से नहीं हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि अब पाकिस्तान भारत के आंतरिक इलाकों में भी जासूसी का जाल बिछा रहा है।
भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग के जरिए की जा रही जासूसी गतिविधियां अब किसी से छुपी नहीं हैं। यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली स्थित उच्चायोग के किसी अधिकारी का नाम जासूसी गतिविधियों में सामने आया हो। इससे पूर्व भी कई बार उच्चायोग के अधिकारियों को भारत सरकार ने अवांछित घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया है।
जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि तारीफ के मोबाइल से डिलीट किए गए डेटा को रिकवर किया जा सकेगा। इसके अलावा उसके बैंक अकाउंट्स, कॉल डिटेल्स और सोशल मीडिया गतिविधियों की भी गहन जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने किन-किन लोगों को सूचना दी और क्या कोई और स्थानीय नागरिक भी इस नेटवर्क का हिस्सा है।
पूछताछ के दौरान तारीफ ने यह भी स्वीकार किया कि उसे पाकिस्तान उच्चायोग से समय-समय पर रुपए मिलते थे। यह पैसा सीधे तौर पर या किसी बिचौलिए के माध्यम से उसके पास पहुंचता था। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उसे कितना पैसा मिला और वह किस माध्यम से ट्रांसफर हुआ। एजेंसियां उसके बैंक खातों और संभावित हवाला चैनल की जांच कर रही हैं।
तारीफ जैसे देशद्रोहियों की गिरफ्तारी न केवल राष्ट्र की सुरक्षा को बचाने के लिहाज से अहम है, बल्कि यह सामाजिक चेतना को भी झकझोरने वाला मामला है। एक ओर जहां देश के जवान सीमाओं पर जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा कर रहे हैं, वहीं देश के अंदर ही कुछ लोग चंद पैसों के लालच में दुश्मन के लिए जासूसी कर देश की अखंडता से खिलवाड़ कर रहे हैं।
हरियाणा पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। तारीफ और अरमान की गतिविधियों को जोड़कर देखा जा रहा है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या दोनों किसी साझा नेटवर्क से जुड़े हुए थे या अलग-अलग संपर्कों से कार्य कर रहे थे।
इस मामले में शामिल सभी व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 121 (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने), धारा 123 (देश के खिलाफ युद्ध में सहायता), धारा 124-A (देशद्रोह), और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यह सभी धाराएं गैर-जमानती हैं और इनमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
तारीफ की गिरफ्तारी के बाद कांगरका और आसपास के गांवों में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोग हैरान हैं कि उनके गांव का ही एक व्यक्ति देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त था। कई लोगों ने मांग की है कि ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए, जिससे भविष्य में कोई और इस प्रकार की हरकत न कर सके।
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