हरियाणा सरकार में एक बार फिर से प्रशासनिक पुनर्गठन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के विभागों का सोमवार, 2 जून को दोबारा बंटवारा किया गया। इस पुनर्गठन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के प्रमुख सचिवों के बीच विभागों का वितरण किया गया है, जिसका असर आने वाले दिनों में प्रदेश की नीतियों और प्रशासनिक कामकाज पर भी साफ दिखाई देगा। सबसे अहम बात यह है कि इस नए बंटवारे में चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी (CPS) राजेश खुल्लर को 15 से ज्यादा प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे वे CMO में सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली अधिकारी बनकर उभरे हैं।
राजेश खुल्लर: सबसे अधिक जिम्मेदारी वाले अधिकारी
राजेश खुल्लर, जो हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं, उन्हें प्रदेश के विकास, वित्त और प्रशासन से जुड़े 15 से अधिक अहम विभागों की जिम्मेदारी दी गई है। इस सूची में वित्त, योजना, शहरी विकास, औद्योगिक समन्वय, निवेश प्रोत्साहन, मुख्यमंत्री घोषणाओं की निगरानी, और मुख्यमंत्री द्वारा गठित उच्चस्तरीय समितियों का क्रियान्वयन शामिल है।
राजेश खुल्लर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सचिवालय में भी सेवाएं दे चुके हैं और वे एक अनुभवी आईएएस अधिकारी हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उन पर जो विश्वास दिखाया है, वह इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में हरियाणा सरकार की कई बड़ी योजनाएं उन्हीं की निगरानी में कार्यान्वित होंगी।
अरुण कुमार गुप्ता: दूसरे सबसे बड़े जिम्मेदार अधिकारी
राजेश खुल्लर के बाद CMO में सबसे ज्यादा विभाग जिनके पास हैं, वह हैं सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता। उन्हें 10 से ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी दी गई है, जिनमें प्रशासनिक सुधार, ई-गवर्नेंस, पब्लिक ग्रिवांस, मुख्यमंत्री कार्यालय के अंदर कार्यान्वयन तंत्र, सूचना एवं जनसंपर्क, और जन शिकायत निवारण प्रणाली (CM Window) जैसे विभाग शामिल हैं।
अरुण गुप्ता राज्य सरकार के अंदर एक तकनीकी दक्षता वाले अधिकारी के रूप में माने जाते हैं। खासकर डिजिटल और प्रशासनिक समन्वय में उनकी दक्षता के कारण, उन्हें ई-गवर्नेंस और निगरानी प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है।
साकेत कुमार: युवा ऊर्जा के साथ तीसरी पंक्ति में
मुख्यमंत्री नायब सैनी के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी साकेत कुमार को भी 8 से ज्यादा विभाग सौंपे गए हैं। इन विभागों में युवाओं से जुड़े कार्यक्रम, डिजिटल मीडिया, नीति आयोग के साथ समन्वय, राज्य स्तरीय समारोहों का आयोजन, और विशिष्ट परियोजनाओं की निगरानी शामिल हैं।
साकेत कुमार को युवा और ऊर्जावान आईएएस अफसर माना जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में भी अपनी सेवाएं दी थीं और अब नायब सैनी के शासन में भी वे विशेष महत्व रखते हैं। उनका फोकस जन-संपर्क, डिजिटल माध्यमों की दक्षता और कार्यक्रम कार्यान्वयन पर रहता है।
डिप्टी प्रिंसिपल सेक्रेटरी और OSDs की भूमिका भी अहम
CMO में तैनात एक डिप्टी प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भी अलग-अलग प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि उनके पास विभागों की संख्या सीमित है, लेकिन जो जिम्मेदारियां दी गई हैं, वे नीति-निर्माण और फील्ड मॉनिटरिंग से जुड़ी हुई हैं।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री के चार OSDs (Officer on Special Duty) को भी उनके-अपने विभाग सौंपे गए हैं। OSDs को कृषि, शिक्षा, सामाजिक न्याय, खेल विकास, महिला सशक्तिकरण और जिला स्तर की योजनाओं की निगरानी जैसे कार्यों से जोड़ा गया है। इन अफसरों को फील्ड और कार्यालय के बीच तालमेल स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुंच सकें।
बंटवारे का उद्देश्य: त्वरित प्रशासन और पारदर्शिता
इस विभागीय पुनर्गठन का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों में गति लाना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना और मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं को समयबद्ध तरीके से लागू करना है। सरकार चाहती है कि CMO एक कुशल और जवाबदेह इकाई के रूप में कार्य करे, जिसमें नीति-निर्माण और क्रियान्वयन के बीच किसी भी प्रकार की देरी या भ्रम की स्थिति न हो।
सीएम नायब सैनी के नेतृत्व में प्रदेश में शासन व्यवस्था को अधिक परिणाममुखी और जनहितैषी बनाने की दिशा में ये पुनर्गठन एक ठोस कदम माना जा रहा है। इसमें अनुभवी अधिकारियों को रणनीतिक विभाग दिए गए हैं, जबकि तकनीकी दक्षता वाले अफसरों को निगरानी और ई-गवर्नेंस जैसे कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है।
राजनीतिक संकेत भी छिपे
इस विभागीय बंटवारे के पीछे राजनीतिक संकेत भी छिपे हो सकते हैं। नायब सैनी हाल ही में मुख्यमंत्री बने हैं और यह उनका पहला बड़ा प्रशासनिक फेरबदल है। यह भी देखा जा रहा है कि किन अधिकारियों पर उन्हें ज्यादा भरोसा है और किसे किस स्तर की भूमिका में रखा गया है।
जहां राजेश खुल्लर जैसे वरिष्ठ अधिकारी को व्यापक प्रशासनिक जिम्मेदारी दी गई है, वहीं अरुण गुप्ता और साकेत कुमार जैसे अधिकारी भी मजबूत भूमिका में नजर आ रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सैनी प्रशासन अनुभव और ऊर्जा दोनों का संतुलन बनाकर चलना चाहता है।