Delhi Election 2025: केजरीवाल ने AAP-कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों पर लगाया विराम
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर कई अटकलें और चर्चाएं चल रही हैं, खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन के बारे में। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी और आम आदमी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट कर यह साफ किया कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस के साथ गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है। केजरीवाल के इस बयान के बाद, दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन की संभावनाओं को लेकर जो अटकलें लगाई जा रही थीं, उन पर पूरी तरह से विराम लग गया। केजरीवाल ने कहा, “आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन को कोई संभावना नहीं है।”
कुछ दिन पहले, एक खबर आई थी जिसमें दावा किया गया था कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण में है। सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया था कि इस गठबंधन में केवल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य दल भी शामिल होंगे। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस को 15 सीटें और अन्य इंडिया गठबंधन दलों को 1 या 2 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही थी। इस गठबंधन के बारे में कई प्रकार की चर्चाएं चल रही थीं और राजनीतिक गलियारों में इसकी अटकलें जोर पकड़ चुकी थीं।
हालांकि, अब अरविंद केजरीवाल ने इन सभी अटकलों को नकारते हुए कहा कि AAP अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर कई बार बयान दिए थे, लेकिन केजरीवाल ने अब इस पर साफ-साफ स्थिति स्पष्ट की है।
AAP के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने भी केजरीवाल के बयान का समर्थन किया और कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है। संजय सिंह ने यह भी कहा कि पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी और इस बार दिल्ली में फिर से अपनी सरकार बनाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में गठबंधन की संभावना के बारे में कयास लगाना स्वाभाविक था, क्योंकि दिल्ली में AAP और कांग्रेस दोनों के लिए सत्ता में वापसी की संभावनाएं हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 में शानदार प्रदर्शन किया था, जबकि कांग्रेस लगातार दिल्ली विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना था कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बना सकते हैं, लेकिन केजरीवाल ने इन सभी अटकलों को नकारते हुए साफ कर दिया कि पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
दिल्ली में AAP और कांग्रेस के रिश्ते हमेशा से ही जटिल रहे हैं। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद, जब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया, तब से दोनों पार्टियों के बीच मतभेद स्पष्ट हो गए थे। कांग्रेस ने हमेशा यह आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश की, जबकि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार और विफलता का प्रतीक बताया। ऐसे में इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावना हमेशा ही विवादास्पद रही है।
इस साल की शुरुआत में, जब दिल्ली में कुछ और राज्यों के चुनाव हो रहे थे, तब भी यह सवाल उठता रहा था कि क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है, लेकिन केजरीवाल ने हमेशा इसे नकारा किया। अब, उन्होंने फिर से यह स्पष्ट किया है कि दिल्ली में अकेले ही चुनाव लड़ने का उनका इरादा है।
AAP की इस स्पष्ट स्थिति के बाद, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में दोनों पार्टियों की अलग-अलग चुनावी रणनीतियां दिखाई दे सकती हैं। कांग्रेस जहां अपनी जड़े मजबूत करने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी, वहीं आम आदमी पार्टी अपनी उपलब्धियों और विकास कार्यों को प्रचारित करके लोगों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी।
यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या अन्य विपक्षी दल, जैसे कि सपा, राकांपा, और अन्य इंडिया गठबंधन दल, दिल्ली में AAP या कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हैं या नहीं। हालांकि, फिलहाल केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि AAP किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन के बजाय खुद अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में AAP और कांग्रेस दोनों के लिए अपने-अपने तरीके से चुनावी जंग लड़ने के फैसले के बाद, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां अपने समर्थकों को किस प्रकार आकर्षित करती हैं। आम आदमी पार्टी, जिसने पिछले कुछ सालों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सस्ती बिजली और पानी जैसी योजनाओं के जरिए दिल्लीवासियों के बीच अपनी छवि बनाई है, अब यह देखना होगा कि वे अपने इन मुद्दों पर चुनावी प्रचार किस तरह करेंगे। वहीं, कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी अपनी पिछली गलतियों से सीखते हुए इस चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर पाती है या नहीं।
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