भारत और इंग्लैंड के बीच 20 जून से शुरू हो रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के संन्यास के बाद यह भारत का पहला बड़ा विदेशी दौरा है, और इसकी कमान सौंपी गई है युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को। गिल, जो अब तक सीमित ओवरों में अपनी बल्लेबाजी से सबका ध्यान खींच चुके हैं, अब एक बड़े टेस्ट में उतरने जा रहे हैं – और वह भी इंग्लैंड की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में।

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने इस सीरीज से पहले शुभमन गिल के बल्लेबाजी कौशल और कप्तानी पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने साफ किया कि इंग्लैंड की परिस्थितियां भारतीय उपमहाद्वीप से काफी अलग होती हैं, और वहां केवल “लाइन के पार जाकर हिट करने” वाली मानसिकता से सफलता नहीं मिलेगी। गांगुली ने कहा कि गिल को अपने डिफेंस (रक्षात्मक खेल) को मजबूत करना होगा और ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों को समझदारी से छोड़ना सीखना होगा।

गांगुली की सलाह: डिफेंस पर दें ध्यान, जल्दबाजी से बचें

गांगुली का मानना है कि इंग्लैंड में नमी और ठंडी हवा के कारण गेंद सीम और स्विंग करती है, और ऐसे में बल्लेबाज को संयम के साथ खेलना पड़ता है। “गिल को तब बल्लेबाजी के लिए आना पड़ सकता है जब टीम 10 रन पर दो विकेट खो चुकी हो। ऐसे हालात में आकर बल्लेबाजी करना अलग ही मानसिकता मांगता है। आपको गेंद के स्विंग को पढ़ना होगा, सही टाइमिंग पर शॉट खेलना होगा और डिफेंस को मजबूत रखना होगा।”

सौरव गांगुली ने यह भी कहा कि गिल को यह समझना होगा कि 100 रन पर दो विकेट और 20 रन पर चार विकेट जैसे हालातों में खेलने के तरीके अलग होते हैं। ऐसे समय में धैर्य, तकनीक और निर्णय क्षमता की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उन्होंने शुभमन को सलाह दी कि वो “हर गेंद पर रन बनाने की कोशिश” न करें बल्कि, परिस्थिति को समझकर समय दें और क्रीज़ पर टिकें।

गिल के पास है प्रतिभा, अब दिखाना होगा अनुशासन

गांगुली ने माना कि गिल के पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। वह पहले ही भारत के लिए कई मैचों में अपनी क्षमताएं दिखा चुके हैं, लेकिन इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट एक अलग परीक्षा होगी। विशेषकर तब, जब आप कप्तान भी हों और जिम्मेदारी का दायरा और बड़ा हो गया हो। गांगुली ने कहा, “गिल को शुभकामनाएं। वह एक शानदार बल्लेबाज हैं, लेकिन इंग्लैंड में उन्हें अपने टेस्ट गेम पर काम करना होगा।”

गांगुली की टिप्पणी से यह साफ हो गया कि गिल को इंग्लैंड के इस दौरे में न केवल टीम की अगुवाई करनी होगी बल्कि, खुद को एक तकनीकी रूप से परिपक्व बल्लेबाज के रूप में भी स्थापित करना होगा। क्योंकि अब जब कोहली, रोहित और अश्विन जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी टीम में नहीं हैं, तो गिल ही वह चेहरा होंगे जिस पर टीम की बल्लेबाजी टिकेगी।

क्यों खास है यह इंग्लैंड दौरा भारत के लिए?

भारतीय क्रिकेट में पिछले एक दशक से रोहित शर्मा और विराट कोहली दो स्तंभ की तरह रहे हैं। टेस्ट, वनडे या टी20 – हर फॉर्मेट में उन्होंने टीम को नेतृत्व और रन दोनों दिए हैं। अब जब दोनों खिलाड़ी मैदान से बाहर हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि नई पीढ़ी के खिलाड़ी किस तरह सामने आते हैं।

गिल के साथ यशस्वी जायसवाल, रजत पाटीदार, सरफराज खान जैसे युवा बल्लेबाज होंगे जिन्हें अब खुद को टेस्ट स्तर पर साबित करना होगा। इस बदलाव के समय गिल के नेतृत्व की परख होगी – क्या वो इन युवाओं को एकजुट करके इंग्लैंड की पिचों पर सफलता दिला पाएंगे?

इंग्लैंड की चुनौती: नई गेंद, सीम और स्विंग

इंग्लैंड की परिस्थितियों को टेस्ट क्रिकेट की सबसे कठिन परिस्थितियों में गिना जाता है। वहां की पिचें नई गेंद के साथ काफी जीवंत होती हैं, और गेंदबाज़ों को स्विंग व सीम का भरपूर सहयोग मिलता है। गांगुली के अनुसार, “नई गेंद के साथ खेलना मुश्किल होता है, खासकर जब हालात गीले या ठंडे हों। गिल को फ्रंट फुट पर आकर डिफेंस खेलना होगा, और बैकफुट पर जाकर बाउंसर से भी निपटना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा कि बल्लेबाजों को चाहिए कि वे बल्ले और शरीर के बीच गैप न छोड़ें और ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर कंट्रोल रखें। खासतौर पर जब जेम्स एंडरसन जैसे गेंदबाज़ सामने हों, जो गेंद को हवा में दोनों तरफ घुमा सकते हैं।

शुभमन गिल की कप्तानी: एक नई शुरुआत

शुभमन गिल को रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में टीम की कप्तानी सौंपी गई है। यह उनके लिए एक बड़ा मौका है – जहां उन्हें न सिर्फ एक बल्लेबाज के रूप में बल्कि एक लीडर के रूप में भी खुद को साबित करना होगा। कप्तानी के दौरान खिलाड़ियों को संभालना, रणनीति बनाना, फील्डिंग सजाना, गेंदबाजों को सही समय पर इस्तेमाल करना – ये सब बड़ी जिम्मेदारियां होंगी।

पूर्व कप्तान गांगुली ने भी गिल की कप्तानी को लेकर सकारात्मक उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, “अब वह टेस्ट कप्तानी कर रहे हैं, यह उनके करियर के लिए एक बड़ी बात है। उन्हें टीम का मनोबल बनाए रखना होगा और खुद भी रन बनाते रहना होगा, क्योंकि कप्तान के रन टीम के लिए एक मनोवैज्ञानिक ताकत बनते हैं।”

कोहली, रोहित और अश्विन के बिना कैसी होगी टीम इंडिया?

यह भारत की वह टीम होगी, जो पहली बार तीन दिग्गजों के बिना एक बड़ी विदेशी सीरीज खेलेगी। कोहली और रोहित जहां बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाते थे, वहीं अश्विन ने अपने स्पिन से कई बार इंग्लैंड में भी टीम को जीत दिलाई है।

गांगुली ने भी इसे आश्चर्यजनक बताया कि इतने कम समय में भारतीय टीम का चेहरा इतना बदल गया है। उन्होंने कहा, “कुछ समय पहले तक टीम कोहली और रोहित के इर्द-गिर्द घूमती थी, और अब दोनों नहीं हैं। यह बदलाव चौंकाने वाला है, लेकिन यही क्रिकेट है। अब नए खिलाड़ियों को आगे आना होगा।”

गिल की सफलता के लिए जरूरी होंगे ये सुधार

गांगुली के अनुसार, गिल की सफलता इंग्लैंड में निम्नलिखित सुधारों पर निर्भर करेगी:

  1. डिफेंस को मजबूत करना – गेंद को शरीर के पास खेलना, बल्ले और पैड के बीच गैप न छोड़ना।

  2. ऑफ स्टंप की गेंदों को छोड़ना – हर गेंद पर खेलने की कोशिश न करके, ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों को छोड़ने का अभ्यास करना।

  3. स्विंग को पढ़ना – स्विंग होती गेंदों के खिलाफ सही फुटवर्क और टाइमिंग का इस्तेमाल करना।

  4. मनोबल बनाए रखना – कप्तान के तौर पर टीम को मुश्किल समय में भी प्रेरित रखना।

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