पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) के दसवें संस्करण के अंतर्गत खेले जा रहे अंतिम आठ मुकाबले तकनीकी रूप से बेहद पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं। वजह? न तो इनमें ‘हॉक-आई’ तकनीक है और न ही ‘डीआरएस’ (डिसीजन रिव्यू सिस्टम)। आधुनिक क्रिकेट में ये दोनों तकनीकें निर्णायक फैसलों का हिस्सा बन चुकी हैं, लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहा। इसका सीधा कारण भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ा हुआ सैन्य और कूटनीतिक तनाव है, जिसका असर अब सीधे पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट पर पड़ रहा है।
दरअसल, PSL में जिन तकनीकों का इस्तेमाल होता है, उनके ज़्यादातर ऑपरेटर भारत से हैं। ये तकनीशियन ही ‘हॉक-आई’ सिस्टम और DRS जैसे अत्याधुनिक क्रिकेटिंग टूल्स को संचालित करते हैं। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में कई आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में नई तल्खी आ गई। इसी के चलते भारतीय तकनीकी टीम ने पाकिस्तान लौटने से इनकार कर दिया।
इस हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान सुपर लीग को तत्काल प्रभाव से 7 मई को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद पीसीबी ने UAE में बचे हुए मुकाबले आयोजित करने का प्रयास किया लेकिन अमीरात क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने इससे इनकार कर दिया। मजबूरीवश, पीसीबी को घरेलू मैदानों पर ही 17 मई से फिर से टूर्नामेंट शुरू करना पड़ा। इस बार 8 मैच खेले जाने बाकी थे—चार लीग राउंड के और चार प्लेऑफ के। इनमें से छह मैच पहले ही बिना हॉक-आई और डीआरएस के खेल लिए गए हैं और अंतिम दो मुकाबले (एक क्वालिफायर और फाइनल) भी तकनीकी रूप से अधूरे ही रहेंगे।
PCB की फजीहत और फ्रेंचाइजीज की नाराज़गी
एक फ्रेंचाइजी से जुड़े विश्वसनीय सूत्र ने पीटीआई को बताया, “हॉक-आई और डीआरएस तकनीकों का संचालन करने वाली पूरी टीम भारत से आती है और मौजूदा हालात को देखते हुए वह पाकिस्तान नहीं लौट रही। इससे बोर्ड को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि PSL की गुणवत्ता पर इसका गहरा असर पड़ा है।”
सूत्रों के मुताबिक, कई फ्रेंचाइजी इससे नाखुश हैं और पीसीबी से मुआवज़ा मांगने की तैयारी कर रही हैं। दर्शकों की नज़रों में टूर्नामेंट की साख पर बट्टा लग गया है क्योंकि कई विवादित फैसले मैदान पर लिए जा रहे हैं और खिलाड़ी DRS की मांग नहीं कर पा रहे।
दर्शकों की नाराजगी और व्यूअरशिप में गिरावट
पाकिस्तान में ही नहीं, दुनियाभर में PSL के करोड़ों दर्शक हैं जो अब सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी जता रहे हैं। कई पूर्व क्रिकेटर भी इस स्थिति को पाकिस्तान क्रिकेट की “कमीज़ोर योजना और तैयारी” बता रहे हैं। PSL के लिए इस सीजन में व्यूअरशिप में लगभग 15% तक की गिरावट आई है, जिसका सीधा असर प्रायोजकों और विज्ञापनदाताओं पर भी पड़ा है।
क्या कहते हैं क्रिकेट जानकार?
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान वसीम अकरम ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “आप किसी आधुनिक T20 लीग की कल्पना तकनीक के बिना नहीं कर सकते। DRS और हॉक-आई जैसी सुविधाएं क्रिकेट में अब बुनियादी हिस्सा बन चुकी हैं। इसका न होना केवल खिलाड़ियों को नहीं, दर्शकों को भी भ्रमित करता है।”
वहीं भारत के क्रिकेट विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने ट्वीट किया, “भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक हालात का असर खेल पर होना दुखद है। तकनीक का न होना PSL जैसे टूर्नामेंट के लिए गंभीर चुनौती है।”
PSL के प्लेऑफ में क्या हुआ?
17 मई को टूर्नामेंट फिर शुरू हुआ और प्लेऑफ मुकाबलों में बेहद प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। क्वालिफायर-1 में सऊद शकील की कप्तानी वाली क्वेटा ग्लैडिएटर्स ने शादाब खान की इस्लामाबाद यूनाइटेड को हराकर सीधे फाइनल में जगह बना ली। उसके बाद एलिमिनेटर मुकाबले में शाहीन अफरीदी की लाहौर कलंदर्स ने मोहम्मद रिजवान की कराची किंग्स को हराया। अब 23 मई को क्वालिफायर-2 में इस्लामाबाद यूनाइटेड और लाहौर कलंदर्स के बीच मुकाबला होना है और विजेता टीम 25 मई को क्वेटा से फाइनल खेलेगी।
तकनीक के बिना निर्णायक मुकाबले?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या PSL 2025 का फाइनल भी तकनीक के बिना खेला जाएगा? बोर्ड ने अब तक कोई समाधान नहीं निकाला है और ना ही किसी वैकल्पिक तकनीकी टीम की घोषणा की है। इसका अर्थ यह है कि टूर्नामेंट का सबसे अहम मैच भी बिना DRS और हॉक-आई के खेला जाएगा।
PCB की रणनीतिक चूक
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने पहले से वैकल्पिक तकनीकी समाधान तैयार नहीं किए। UAE या श्रीलंका जैसी जगहों से विशेषज्ञ बुलाने की पहल नहीं की गई, जो इंगित करता है कि PSL की तैयारी अधूरी थी। इस पूरे घटनाक्रम ने PCB की कार्यक्षमता और संकट प्रबंधन कौशल पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
PSL के इस तकनीकी संकट ने पाकिस्तान क्रिकेट को एक बड़ा सबक सिखाया है। यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट को बनाए रखना है तो राजनीति और खेल को अलग रखना होगा। तकनीकी निर्भरता को संतुलित करना होगा और वैकल्पिक विकल्प तैयार रखने होंगे। साथ ही भारत जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देश पर अत्यधिक निर्भरता से भी बचना होगा।