बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में पूरे राज्य की 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। यह एलान चिराग ने आरा में एक जनसभा के दौरान किया, जिसने एनडीए गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनडीए का घटक दल होने के बावजूद चिराग का यह एकतरफा फैसला राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

इस बयान पर जब भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के नेताओं से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने चौंकाने वाला रुख अपनाया। सीवान में एनडीए की प्रमंडलीय बैठक के दौरान जब पत्रकारों ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से इस पर सवाल किया, तो उन्होंने साफ टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि चिराग ने अकेले नहीं बल्कि एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है। वहीं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें चिराग के इस बयान की जानकारी नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस वक्त चिराग पासवान के साथ किसी भी तरह की टकराव की स्थिति से बचना चाहती है, इसलिए बयान पर चुप्पी साधी जा रही है। वहीं चिराग पासवान का यह रुख इस ओर इशारा करता है कि वे अपनी पार्टी को बिहार में स्वतंत्र राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। अब देखना यह होगा कि एनडीए इस परिस्थिति को कैसे संभालता है और क्या चिराग वाकई 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारते हैं या यह सिर्फ एक राजनीतिक दबाव की रणनीति है।

बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान का यह कदम न केवल गठबंधन की मजबूती को चुनौती देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आगामी चुनावों में सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर बड़ी रस्साकशी हो सकती है। अब भाजपा, जदयू और एलजेपी (रामविलास) के रिश्ते किस मोड़ पर जाएंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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