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हरियाणा और पंजाब के बीच पानी को लेकर एक बार फिर से तनाव गहरा गया है। भाखड़ा नंगल परियोजना से हरियाणा को मिलने वाले पानी में कटौती के कारण राज्य में जल संकट की स्थिति बन गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) ने हरियाणा को उसकी पूरी हिस्सेदारी — 8500 क्यूसिक पानी — देने का निर्णय लिया है।
पंजाब ने जताया विरोध, फैसला अभी अधर में
हालांकि, पंजाब सरकार ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। BBMB की यह बैठक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर बुलाई गई थी, जिसमें हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के प्रतिनिधि भी शामिल थे। तीनों राज्यों ने इस फैसले का समर्थन किया, लेकिन पंजाब सरकार की अंतिम मंज़ूरी अभी बाकी है।
पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने पहले ही पानी की आपूर्ति घटाकर 4000 क्यूसिक कर दी थी, जबकि हरियाणा को 8500 क्यूसिक पानी मिलने का प्रावधान है। हरियाणा सरकार ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया और BBMB रूल्स 1974 की धारा 7 के तहत केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
हरियाणा सरकार का जल संकट से निपटने का मेगा प्लान
जल संकट की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा सरकार ने एक “मेगा वाटर मैनेजमेंट प्लान” तैयार किया है, जिसमें निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- सभी जिलों में वाटर सप्लाई सिस्टम की जांच की जाएगी।
- जहां पानी की किल्लत है, वहां ट्यूबवेल और टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति की जाएगी।
- शहरों में बूस्टर स्टेशन लगाए जाएंगे ताकि सप्लाई में कोई रुकावट न आए।
- यदि हालात बिगड़ते हैं तो पानी की राशनिंग की जाएगी — यानी लोगों की संख्या के हिसाब से पानी दिया जाएगा।
- अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे फील्ड में रहकर हालात की निगरानी करें।
सियासी बयानबाज़ी तेज़
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि “पंजाब सरकार राजधर्म नहीं निभा रही है।” वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी सख्त लहजे में कहा कि “पंजाब सरकार को पड़ोसी राज्य की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए।”
अब सबकी नजर केंद्र पर
अब यह मामला पूरी तरह केंद्र सरकार के हाथ में है। देखना होगा कि क्या पंजाब इस फैसले को मानता है या नहीं। फिलहाल हरियाणा को BBMB के फैसले से राहत की उम्मीद जरूर है, लेकिन पंजाब के विरोध के चलते यह विवाद जल्द थमने वाला नहीं दिखता।