AHILAYABAI: लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंतीAHILAYABAI: लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती

AHILAYABAI: लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती

आगरा के जीआईसी मैदान में 1 जून को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित समारोह में देश की कई प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी रही। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सहित कई वीवीआईपी हस्तियां शामिल हुई। ऐसे में कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जहां चरम पर थीं,

वहीं इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पुलिस ने अतिरिक्त सतर्कता बरती। आपको बता दें कि
धनगर समाज की ओर से एससी वर्ग में शामिल किए जाने की लंबे समय से मांग की जा रही है।

लेकिन मुख्य समस्या तब सामने आई जब समाज के कुछ प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम स्थल पर प्रतीकात्मक रूप से भेड़-बकरी लेकर पहुंचने की आशंका जताई गई। इस संभावित प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने शनिवार रात से ही सख्ती शुरू कर दी। खुफिया रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जिले के छह से अधिक धनगर समाज के नेताओं की निगरानी शुरू की और कई को उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया।

इस कार्रवाई से समाज के कई नेताओं में नाराजगी देखी गई। एमजी पीजी कॉलेज में क्लर्क के पद पर कार्यरत रामबाबू धनगर ने बताया कि वह समाज के एक संगठन से जुड़े जरूर हैं, लेकिन उनके संगठन ने किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन का कोई आह्वान नहीं किया था।

इसके बावजूद पूरी रात पुलिस उनके घर पर तैनात रही। उन्होंने ये भी बताया कि अगली सुबह उनकी बीएड प्रवेश परीक्षा में ड्यूटी थी, फिर भी पुलिस उनके साथ ड्यूटी स्थल तक गई, जिससे उन्हें अपमानित महसूस हुआ।

रामबाबू धनगर ने कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से समाज की मांगें उठाते हैं। लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के इस तरह निगरानी करना और घर पर पुलिस तैनात करना न केवल असहज करने वाला है बल्कि अपमानजनक भी है।”

इसी तरह अन्य नेताओं ने भी पुलिस पर जबरन निगरानी और मानसिक दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से समाज के भीतर असंतोष बढ़ रहा है।

इस विषय में जब एसपी सिटी रविशंकर प्रसाद से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री जैसे गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कुछ संवेदनशील इनपुट्स के आधार पर ये निगरानी की गई, ताकि किसी प्रकार की अराजक स्थिति उत्पन्न न हो।”

हालांकि प्रशासन की इस कड़ी निगरानी के चलते कार्यक्रम शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए और लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों और योगदान को स्मरण किया गया।

फिर भी, समाज के भीतर इस घटना को लेकर गहरी असंतोष की भावना उभरी है। अब देखना ये होगा कि शासन और प्रशासन इस असंतोष का समाधान किस तरह करता है और समाज की मांगों को कैसे संज्ञान में लेता है।

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