छगन भुजबल की जबरदस्त वापसी, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की कमान सौंपी गई
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर छगन भुजबल की जोरदार वापसी हुई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता और ओबीसी समुदाय के प्रमुख चेहरे 77 वर्षीय छगन भुजबल को देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में खाद्य और आपूर्ति विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया है। यह निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और राज्य में ओबीसी समुदाय को साधने के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है।
दिसंबर में मंत्रिमंडल से बाहर, अब बड़ी वापसी
पिछले साल दिसंबर में छगन भुजबल को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही थी। उस समय यह माना जा रहा था कि एनसीपी के अंदरूनी समीकरणों और नेतृत्व के साथ उनके मतभेदों के कारण उन्हें हटाया गया। खासकर, भुजबल द्वारा अपने बेटे पंकज भुजबल को विधान परिषद में नामित करने का दबाव पार्टी नेतृत्व को रास नहीं आया था। इसके अलावा अजित पवार की बगावत में समर्थन देने के बाद पार्टी में बने तनाव ने भी उनकी स्थिति को कमजोर किया।
‘अंत भला तो सब भला’
नई जिम्मेदारी मिलने के बाद छगन भुजबल ने कहा, “मैंने 1991 से अब तक कई बार मंत्री पद की शपथ ली है और विभिन्न विभागों का अनुभव लिया है। अब जो जिम्मेदारी मुझे दी गई है, मैं उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा। अंत भला तो सब भला।” उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि वे इस अवसर को अपनी राजनीतिक विरासत को और मज़बूत करने के रूप में देख रहे हैं।
ओबीसी राजनीति में महत्वपूर्ण दांव
भुजबल की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र में 687 शहरी और ग्रामीण निकायों के चुनावों का रास्ता साफ किया है। ऐसे में ओबीसी समुदाय को अपने पाले में बनाए रखने के लिए भुजबल जैसे प्रभावशाली चेहरे को फिर से कैबिनेट में शामिल करना एक रणनीतिक दांव माना जा रहा है।
विभाग की जिम्मेदारी और राजनीतिक संकेत
भुजबल को खाद्य और आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी दी गई है, जो पहले धनंजय मुंडे के पास थी। यह विभाग आम लोगों से सीधे तौर पर जुड़ा होता है और महंगाई, राशन वितरण जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से संबंधित है। ऐसे में भुजबल को इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपना, सरकार के प्रति ओबीसी वर्ग और गरीब तबके का भरोसा कायम रखने का प्रयास है।
छगन भुजबल की मंत्रिमंडल में वापसी केवल एक राजनीतिक पुनर्वास नहीं, बल्कि महायुति सरकार की एक रणनीतिक चाल भी है। ओबीसी समुदाय को साधना, आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में मजबूती हासिल करना और अजित पवार गुट के भीतर संतुलन बनाना—ये तीनों उद्देश्यों को साधने के लिए भुजबल की नियुक्ति एक उपयुक्त कदम साबित हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भुजबल अपनी नई भूमिका में किस तरह प्रदर्शन करते हैं और अपनी छवि को दोबारा कितनी मजबूती से स्थापित कर पाते हैं।
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